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ये मेथोडिस्ट चर्च बना था ईस्ट इंडिया के फौजियों की आराधना के लिए, जानें पूरा इतिहास

सुनहरा इतिहास है इन गिरजाघरों का, शहर का केथोलिक चर्च 125 साल पुराना

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History of Khandwa Church

History of Khandwa Church

खंडवा. शहर का सबसे पुराना चर्च केथेलिक सेंट मेरिस चर्च है । यह १२५ साल पुराना है। यहां पर विशाखापत्तनम से आने वाले मसीह समाज के लोगों ने प्रार्थना करने के लिए चर्च बनाया था। बताया जाता है कि रेल मार्ग होने से यहां पर ईसाई समाज के लोग रेलवे में नौकरी के दौरान यहा आए थे। वहीं सेंटल मेथोडिस्ट चर्च ११२ साल पुराना है। गौरा बैरक के फौजी अंग्रेजों के समय कलकत्ता से आए थे। जब महू में चर्च हुआ करता था। वहीं १९०५ में गौरा बैरक के फौजियों की आराधना के लिए यह चर्च बना।

सेंट मेरिस केथोलिक चर्च
शहर का यह सबसे पुराना चर्च है। इसे करीब १२५ से अधिक हो गए है। कैथोलिया चर्च विशाखपत्तनम से आए मिशनरी द्वारा बनाया गया। फादर बोबन ने बताय कि रेलवे में नौकरी करने आए लोग अधिकांश संख्या में ईसाई समाज के थे। उन्होंने यह चर्च बनाया। इसको सेंट मेरिस चर्च केथोलिया के नाम से जाना जाता है।

सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च
शहर में चर्च १९०५ में बना। इसका इतिहास अंग्रेजों से जुड़ा हुआ है। गौरा बैरक में आए फौजियों की प्रेयर के लिए यह चर्च बना। कलकत्ता से फौजियों का मुख्यालय महू था। यहां पर चर्च नहीं होने से परेशानी होती थी इसलिए यहा पर चर्च बना। काफ्रेंस ले लीडर आरके प्रसाद ने बताया कि चर्च की बेदी पर सब कुड अर्पण किया जाता है। यह बेदी पवित्र होती है। यहां पर ८ फीट नीचे बाईबल और चर्च के पादरी के नाम लिख कर दफन किए जाते है इसके साथ पवित्र जल रखा जाता है। तीन पुलिया स्थित चर्च कांसी क्रेशन २०१३ में हुआ।

रस्टिक, पैंटेंड के साथ गेहूं और रागी से बनाएं हेल्दी केक
खंडवा द्य क्रिसमस और न्यू ईयर की रौनक पूरे शहर में देखने को मिल रही है। शहर में क्रिसमस ट्री सजाए जा रहे हैं। प्री-क्रिसमस पार्टीज की धूम भी है। क्रिसमस पर लोग एक-दूसरे को गिफ्ट देकर और केक खिलाकर खुशियां बांटते है। मार्केट में इस बार क्रिसमस केक्स में कई इनोवेशंस देखने को मिल रहे है। इस बार कस्टमाइज्ड केक के साथ रस्टिक, फोन्डेंट केक और पैंटेड केक काफी पसंद किए जा रहे हैं। हेल्थ कॉन्शियस लोग मैदे की जगह रागी, ज्वार और गेहंू के आटे से बने केक की डिमांड कर रहे हैं।
केक एंड क्राफ्ट्स की ऑनर जैस्मिन लूला बताती है कि पहले आइसिंग केक को लोग पसंद करते थे, लेकिन अब डार्क सिल्वर, गोल्डन और चॉकलेट फ्लैक्स के साथ रस्टिक लुक ज्यादा पसंद किया जा रहा है। जिंजर ब्रेड कुकीज और स्नो फ्लैक्स का यूज करके इसमें अट्रेक्टिव लुक दिया जाता है। इसके अलावा पैंटेंड केक की प्री-बुकिंग काफी ज्यादा है। इसमें इटेबल कलर्स का यूज करके फोन्डेंट केक पर ब्रश पैंङ्क्षटग की जाती है।
अगर थीम की बात करें तों रैनडियर, सांता स्लैज को क्रिएटिव तरीके से प्रजेंट किया जा रहा है। कुकिंग एक्सर्ट आस्था महाजन ने बताया कि इस बार मार्केट में हेल्थ काॉन्शियस लोग गेहंू, रागी और ज्वार के आटे से बने केक को ज्यादा पसंद कर रहे है। इसके अलावा सस्पेंड केक्स और स्ट्रक्चरल केक्स की सेलिंग ज्यादा है क्योंकि इनकी डिजाइनिंग बेहद अच्छी होती है।

शहर में गूंज रहे कैरोल गीत
खंडवा. क्रिसमस का त्योहार खुशियां लेकर आ रहा है। प्रभु के आगमन को लेकर शहर में विभिन्न स्थानों पर केरोल गीत गाए जा रहे है। केरोल संगीत की धुन घर- घर गूंज रही हैं। कैरोल संगीत के माध्यम से घरों में जाकर प्रभु इशु के शुभ आगमन का संदेश दिया जा रहा है। शनिवार को वत्सला विहार के पास्टरल सेंटर व बिशप हाउस के समाजजनों ने वत्सला विहार में जाकर केरोल गीत सुनाया। मुख्य कार्यक्रम 25 दिसंबर को बिशप हाऊस में बिशप डॉ. एएस दुराईराज डायोसिस की उपस्थिति में 10.30 से 12.30 बजे तक आयोजित होगा। इसके साथ विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
शहर के गिरजाघरों को आकर्षक विद्युत सज्जा व भगवान यीशु की झांकियां सजाई गई है। फादर फिलिप ने बताया कि कैरोल संगीत के माध्यम से घर घर प्रभु के आगमन की सूचनाएं दी जा रही हैं। क्रिसमस के पहले चर्चों को सजाया गया है।
प्रभु यीशु की चलित झांकी निकाली
शहर में निकली प्रभु यीशु की चलित झांकी निकाली गई। प्रभु यीशु के आगमन का संदेश लेकर सेंट मेरिस कैथोलिक चर्च से झांकी शनिवार शाम को निकाली गई। चलित झांकी इंदिरा चौक, बस स्टैंड, नगर निगम, तिराहा होते हुए शहर के विभिन्न मार्गों से होकर गुजरी। रात ९ बजे इसका समापन चर्च पर हुआ। २४ दिसंबर की रात में यीशु के जन्म को लेकर प्रार्थना की जाएगी।