खंडवा। माखनलाल चतुर्वेदी के का इतिहास कबाड़ मे रखा खराब हो रहा है, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। जयंती हो या पुण्यतिथि उनकी फोटो पर माला चढ़ाकर भूल जाते हैं। भले ही हिंदी के विस्तार की बात की जा रही हो, लेकिन एक भारतीय आत्मा की हिंदी पिछले 49 वर्षों से कबाड़ में कैद है। आज इनकी पुण्यतिथि है, मप्र से स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में कलम के माध्यम से अंग्रेजों से लोहा लेने वाले माखनलाल चतुर्वेदी खंडवा से हिंदी में लिखे उनके साहित्य के माध्यम से एक भारतीय आत्मा के नाम से ख्यात हुए थे।