
खंडवा. यूं तो मां के एहसास को जानने के लिए किसी खास दिन की आवश्यकता नहीं होती। क्योंकि मां के साथ तो हर दिन बेहद खास होता है। लेकिन मां की उपस्थिति और उनके ममता को महसूस करने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है।
कोरोना काल में जब सब साथ छोड़ गए, तब भी न तो वे अपनी ड्यूटी से पीछे हटी, न बेटे की परवरिश में कोई कमी आने दी। जिला अस्पताल में पदस्थ स्टाफ नर्स खतीजा भारती के पति इंदौर में कार्यरत है। वे खंडवा में अपने सात वर्षीय बेटे मोइन के साथ अकेली रहतीं है। बेटे की परवरिश की जिम्मेदारी के साथ जिला अस्पताल की ड्यूटी में वे समन्वय बनाकर काम कर रहीं है। कोरोना काल में कोविड वार्ड बनने के बाद 1 अप्रैल 2020 से तीसरी लहर खत्म होने तक उन्होंने कोविड आइसोलेशन नर्सिंग स्टाफ इंचार्ज की भूमिका भी निभाई। कोविड वार्ड में ड्यूटी लगने के बाद उनके बेटे की आया को पता लगा कि वे कोरोना संक्रमण वाले वार्ड में ड्यूटी कर रहीं है तो आया काम छोड़कर चली गई। जिसके बाद खतीजा के जिम्मे ही बेटे के पालन पोषण भी करने जिम्मेदारी आ गई। कोरोना काल में वें बेटे को वे घर में अकेला छोड़कर आती थीं।
बच्चे की बेस्ट फ्रेंड होती है मां
मां, माता, अम्मी और मॉम इन सभी शब्दों में ममता का सार छुपा हुआ है। मां और अम्मा जैसे शब्द एक बच्चे के जीवन को नई दिशा देते हैं और नि:स्वार्थ प्रेम की परिभाषा पूरी दुनिया को बताते हैं। एक मां बच्चे की सबसे पहली टीचर तो होती ही है। अक्सर वो अपने बच्चे की बेस्ट फ्रेंड का रोल भी निभाती है। यूं तो मां के एहसास को जानने के लिए किसी खास दिन की आवश्यकता नहीं होती। क्योंकि मां के साथ तो हर दिन बेहद खास होता है। लेकिन मां की उपस्थिति और उनके ममता को महसूस करने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है। ये कहना है शहर के टैगोर पार्क आई हर्षाली देसाई का। उन्होंने कहा कि बेटी रुत्वि देसाई के साथ पार्क में घूमने आए थे।
Published on:
08 May 2022 01:43 pm
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