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साहित्यकार शरद पगारे ‘व्यास सम्मान’ से सम्मानित

शरद पगारे के ऐतिहासिक उपन्यास 'पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी' का चयन किया गया है।

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साहित्यकार शरद पगारे 'व्यास सम्मान' से सम्मानित

साहित्यकार शरद पगारे 'व्यास सम्मान' से सम्मानित

खंडवा. साहित्यकार शरद पगारे को केके बिड़ला फाउंडेशन, नई दिल्ली की तरफ से व्यास सम्मान से सम्मानित किया गया है। शरद पगारे मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के रहने वाले हैं। के.के.बिरला फाउंडेशन के वर्ष 2020 के “व्यास सम्मान' के लिए प्रो. शरद पगारे के ऐतिहासिक उपन्यास 'पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी' का चयन किया गया है।

5 जुलाई, 1931 को खंडवा (मध्यप्रदेश) में जन्में शरद पगारे हिन्दी साहित्य के जाने माने लेखकों में से एक है। शरद पगारे ने इतिहास में एमए करने के बाद पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। शरद पगारे इतिहास के प्रतिष्ठित विद्वान, शोधकर्ता और प्राध्यापक रहे हैं। भारत ही नहीं विदेशों में भी इनके प्रामाणिक इतिहास ज्ञान की सराहना की गई है। इतिहास संबंधी आपके अनेक शोधपरक ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। यह एक सुखद संयोग है कि एक इतिहासकार होने के साथ ही वे सफल कथाकार भी हैं।

वृंदावन लाल वर्मा की ऐतिहासिक उपन्यास परम्परा के विकास में आपने महत्वपूर्ण योगदान किया है। प्रो पगारे शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन में संलग्न हैं। आपने शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय, बैंकाक में अतिथि प्राचार्य के रूप में भी कार्य किया। पगारे को मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी, भारतभूषण सम्मान के अतिरिक्त कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

इनके अब तक पांच उपन्यास, छः कहानी संग्रह, दो नाटक व शोध प्रबंध प्रकाशित हुए हैं। प्रो पगारे की अनेक रचनाओं का अंग्रेजी, उड़िया, मराठी, मलयालम, कन्‍नड़ एवं तेलुगु में अनुवाद भी प्रकाशित हुआ है।