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7 दिनों से बंद हैं 450 बसें, यात्रियों के साथ ड्रायवर-कंडेक्टर पर आया संकट

असर उन लोगों पर भी पड़ा है जो रोजाना मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। दंगे का दंश बस संचालकों, चालकों-परिचालकों को भी झेलना पड़ रहा है। सप्ताहभर से बसों के पहिए थमे हैं। ऐसे में चालक-परिचालकों के परिवार का जीवन चक्का भी फंसा हुआ है।

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7 दिनों से बंद हैं 450 बसें, यात्रियों के साथ ड्रायवर-कंडेक्टर पर आया संकट

7 दिनों से बंद हैं 450 बसें, यात्रियों के साथ ड्रायवर-कंडेक्टर पर आया संकट

खरगोन. रामनवमीं की शोभायात्रा पर हुए पथराव के बाद हिंसा ऐसी भड़की कि सात दिनों से शहर कफ्र्यू के आगोश में है। कामकाज ठप्प हो गए हैं। इसका असर उन लोगों पर भी पड़ा है जो रोजाना मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। दंगे का दंश बस संचालकों, चालकों-परिचालकों को भी झेलना पड़ रहा है। सप्ताहभर से बसों के पहिए थमे हैं। ऐसे में चालक-परिचालकों के परिवार का जीवन चक्का भी फंसा हुआ है। उधर, बसें न चलने से यात्रियों को भी पैदल ही रास्ता नापना पड़ रहा है।

बस एसोसिएशन जिलाध्यक्ष राजेंद्रपालसिंह भाटिया ने बताया आठ दिनों से परेशानी हो रही है। आर्थिक मार झेल रहे हैं। दो साल कोरोनाकाल बीताने के बाद अब व्यवस्थाएं पटरी पर आई थी, लेकिन कफ्र्यू ने फिर कमर तोड़ दी है। भाटिया ने प्रशासन से मांग की है कि जिन बसों का संचालन खरगोन मुख्यालय से हो रहा है उनका टैक्स माफ किया जाए, साथ ही बीमा राशि में भी समायोजन किया होना चाहिए।

एक हजार रुपए रोज लगता है टैक्स
भाटिया ने बताया एक बस का एक दिन का टैक्स करीब एक हजार रुपए बनता है। उदाहरण के लिए खरगोन से खंडवा के बीच दिन में दो ट्रीप लगाने वाली बस का टैक्स करीब 800 रुपए बनता है। जब आठ दिनों से बसें बंद ही है। ऐसे में से जिला मुख्यालय से संचालित तमाम बसों का टैक्स माफ होना चाहिए।

चालक-परिचालक बोले-परिवार चलाना हो रहा मुश्किल

बस ड्राइवर ड्राइवर राकेश कर्मा, परिचालक कमलेश कुशवाह ने बताया आठ दिनों से हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। रोजाना 400 से 500 रुपए मजदूरी मिलती है। इससे परिवार चलाते हैं। अभी खर्च तो उतने ही है, लेकिन इनकम बंद हो गई है। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि चालकों-परिचालकों को भी सहायता राशि दी जाए, ताकि किसी को परेशानियां नहीं हो।

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शादियों के सीजन में बसें बंद
कफ्र्यू के कारण बसें बंद होने से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, चूंकि अभी शादियों का सीजन है, इस कारण लोगों निजी वाहनों से जाने में अधिक पैसा खर्च करना पड़ रहा है, क्योंकि वर्तमान में करीब 450 बसों का संचालन बंद पड़ा है, जिलें में करीब 45 रूटों पर करीब 450 बसें चलती हैं, जिसमें करीब एक हजार से अधिक यात्री रोज आवाजाही करते हैं, ये पिछले एक सप्ताह से बंद है।