
आठवीं पास किसान का करिश्मा, निमाड़ की मिट्टी में उगा दिया सेब, दक्षिण अमेरिका तक मिल रही तारीफ
खरगोन. निमाड़ की माटी सफेद सोना यानी कपास पैदा करने वाली है। कपास की उपज के बूते ही यहां के किसानों ने इंटरनेशनल बाजार तक अपनी अलग पहचान स्थापित की है, लेकिन कपास उगलने वाली यह उपजाऊ जमीन अब कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के सेबफल जैसे निमाड़ का एप्पल भी तैयार करने लगी है।
खेती को लाभ का धंधा बनाने वाला यह नवाचार कसरावद के 8वीं पास किसान ने किया है। कसरावद के किसान सुरेंद्र पंचोटिया 45 सालों से खेती कर रहे हैं। शुरुआत कपास से हुई, लेकिन अब समय के साथ कदम ताल मिलाते हुए उन्होंने निमाड़ का एप्पल (सेबफल) भी उगाया है। पंचोटिया बताते हैं कि खेत में 200 सेवफल के पौधे अब उपज देने लगे हैं।
लाल सुर्ख रंग की उपज को उन्होंने फेसबुक पर अपलोड किया। देखते ही देखते यह कई लोगों तक पहुंचा। पंचोटिया के पास दक्षिण अमेरिका के सुरीनाम से भी उन्नत किस्म के सेवफल की तारीफ मिली।
सेवफल के साथ यह खेती भी
पंचोटिया बताते हैं कि वे कपास के बाद अब मुख्य रूप से गन्ने की खेती करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने अमरूद, गन्ना व विभिन्न किस्मों और सब्जियों की नर्सरी तैयार की है। 40 सेवफेल के पौधे से एक साल पहले ही फल मिलने लगे हैं। सुरेंद्र बताते हैं कि किसी न किसी दिन निमाड़ का अपना एप्पल भी होगा। इसकी खेती भी होगी और बाजार में भी पसंद किया जाएगा।
7 सीख- नरवाई जलाते नहीं, बनाते हैं उपयोगी खाद
किसान सुरेंद्र ने बताया वह 6 एकड़ में गन्ने की खेती करते हैं। यहां बड़ी संख्या में नरवाई निकलती है। सामान्य तौर पर किसान इसे आग लगाकर राख बना देते हैं। लेकिन सुरेंद्र ऐसा नहीं करते। उन्होंने बताया गन्ने के टूठ बच जाते हैं और अगर गन्ने की दूसरी फसल लेना है तो गन्ना कटने के बाद बेड (गन्ने की बेड) के दोनों ओर कल्टीवेटर से जड़े खोल लेते हैं। इससे मिट्टी ऊपर हो जाती है। दूसरी ओर मिट्टी नरवाई पर चढ़ जाती है। दो से तीन पानी और रोटावेटर चला देते हैं। इस तरह गन्ना पकने से पहले जैविक खाद खेत में ही तैयार हो जाती है। उन्होंने किसानों से भी अपील की है कि नरवाई को जलाए
Published on:
10 Feb 2022 12:50 pm
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