
खरगोन. लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा पलायन का है। रोजगार के मुद्दे पर जिन पार्टियाें और प्रत्याशियों ने जीतकर लोकसभा में कदम रखा उन्होंने ही इस मुद्दे को बिसरा दिया। कई दशकों से आदिवासी बहुल क्षेत्र के मतदाताओं को स्थायी रोजगार तक नहीं मिल पाया। दोनों लोकसभा क्षेत्र से प्रतिवर्ष अनुमानित एक लाख से अधिक श्रमिक मजदूरी के लिए अन्य राज्यों में पलायन कर जाते हैं। मनरेगा जैसी केंद्र की योजनाओं के अतिरिक्त स्थानीय योजनाएं भी पूरी तरह कारगर साबित नहीं हुई। हालात यह है कि मतदान तारीख में अब एक पखवाड़ा भी नहीं रह गया और कई गांव खाली पड़े हैं। पलायन कर चुके श्रमिकाें का कहना है कि खेती के काम से फुरसत मिलते पर काम की तलाश में दूसरे राज्यों में भटकना पड़ता है। उल्लेखनीय है मार्च में आने वाले भौंगर्या उत्सव के बाद यह लोग पलायन कर जाते हैं। अब तक इनके रोजगार का स्थायी उपाय नहीं हो पाया। यह लोकसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। इधर, राजनीतिक पार्टियाें के अलावा प्रशासन भी पलायन कर चुके मजदूरों को मतदान के लिए बुला रहे हैं।
आदिवासी बहुल झिरन्या, भीकनगांव, भगवानपुरा, सेगांव, सेंधवा, पानसेमल ब्लॉक में सबसे ज्यादा पलायन होता है। इन क्षेत्रों के कई गांवाें में परिवार के परिवार पलायन कर गए। कई घरों में ताले लटके हैं। वहीं कुछ लोग घर की देखभाल के लिए एक-दो सदस्यों को छोड़ गए हैं। भगवानपुरा जनपद के सिरवेल, अंबा, उमरिया, गोंटिया, नादिया, पलासकूट, सातपाटी, खापरजामली, कुंभी आदि गांवों के अधिकांश लोग पलायन कर गए हैं। श्रमिक जतरसिंह, जमनाबाई, कानसिंह डूडवे, रूस्तम सिसोदिया आदि ने बताया कि फसल कटने के बाद मजदूरी नहीं मिलती है। यही वजह दूसरे राज्यों में काम के तलाश में जाना पड़ता है। यही हालात जिले के चिरिया, हेलापड़ावा, तितरानिया, सुलाबैड़ी, साकड़, पीडीजामली, हरणकुंडिया, रूंंदा, बुंदा, पिपल्याबावड़ी, अंबाखेड़ा, थरपुर, देवनलिया, देवली, बड़ी, बड़ा, जामुनगिरी आदि गांवों में बने हुए हैं।
ठेकेदार श्रमिकों को अन्य राज्यों में मजदूरी के लिए भेजते हैं। जिले में सामान्य मजदूरों को 200 से 250 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी मिलती है। दूसरे राज्यों में 300 से 500 रुपए प्रतिदिन तक मिल जाता है। देवली के शांतिलाल भालसे मजदूरी के लिए गुजरात गए हैं। इसके कारण बालिकाएं परीक्षा नहीं दे पाई। राजेश नागराज भी पत्नी व तीन बच्चों के साथ इंदौर गए हैं। उधर, कई मामले ऐसे भी आ चुके हैं जिनमें श्रमिकों को पूरी मजदूरी नहीं देकर उनका शोषण किया गया है। पुलिस की मदद से बंधक बनाए गए कई श्रमिकों को छुड़ाकर लाया जा चुका है।
भीकनकगांव विधानसभा में पलायन कर मतदाताओं को बुलाने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है। सहायक निर्वाचन अधिकारी बीएस कलेश ने बताया कि करीब 4303 प्रवासी श्रमिकों को मतदान के लिए उनके गृह क्षेत्र में बुलाने के लिए कॉल सेंटर में 28 महिलाकर्मी मोबाइल पर संपर्क कर रही है। श्रमिकों से संपर्क कर उन्हें मतदान के लिए बुलाया जा रहा है। कई श्रमिकों ने आने की सहमति दी है।
Updated on:
02 May 2024 06:18 pm
Published on:
02 May 2024 06:17 pm
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