
हाई डेसिंटी प्लांटेशन सिस्टम के लिए चलेगा पायलेट प्रोजेक्ट, 20 क्विंटल देशी बीज नागपुर से लाएंगे
हाई डेसिंटी प्लांटेशन सिस्टम के लिए चलेगा पायलेट प्रोजेक्ट, 20 क्विंटल देशी बीज नागपुर से लाएंगे
-पत्रिका ने खबर प्रकाशित कर कराया था हाई डेंसिंटी प्लांटेशन की ओर ध्यान आकृष्ट
-कृषि उपसंचालक ने किया केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान नागपुर का भ्रमण, मिलेगा अनुदान
खरगोन. जिला कपास उत्पादन के लिए पहचाना जाता है। हाई डेंसिटी प्लांटेशन के लिए अब खरगोन में पायलेट प्रोजेक्ट चलाया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र ने सहमति दी है। उपसांचालक कृषि एमएल चौहान ने बताया कि अपर मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के निर्देशानुसार नागपुर स्थित संस्थान का भ्रमण किया। संस्थान के निदेशक डॉ. वाईजी प्रसाद से मुलाकात कर जिले में हाई डेंसिटी प्लांटेशन सिस्टम से लगाए गए कपास के बारे में जानकारी दी। अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए आगामी सीजन के लिए 20 क्विंटल देशी कपास बीज की मांग की गई। साथ ही इस पद्धति से उनके द्वारा भी क्षेत्र विस्तार योजना अंतर्गत जिले को पायलट प्रोजेक्ट के तहत कृषि विज्ञान केंद्र एवं किसान कल्याण कृषि विभाग के माध्यम से किसानों के यहां प्रदर्शन आयोजित करने की सहमति दी गई। जिसमें केंद्र सरकार का अनुदान भी सम्मिलित रहेगा। जिले के लिए एचडीपीएस सिस्टम से लगने वाली विभिन्न वैरायटी के बारे में जानकारी प्राप्त की गई। खरीफ सीजन के लिए 20 क्विंटल कपास बीज की मांग पर संस्थान के डायरेक्टर डॉ. प्रसाद ने सहमति दी। इस मौके पर डॉ. वी शांति मैडम, एडीए आरएस बडोले, तकनीकी सहायक अशोक पटेल भी मौजूद थे।
पत्रिका ने बताया था हाई डेंसिटी प्लांटेशन का लाभ
जिले में कपास की खेती और हाई डेंसिटी प्लांटेशन सिस्टम को लेकर पत्रिका ने छह अक्टूबर 2023 को कृषि कल्चर पेज पर ’तकनीक अपनाई तो 30-40 प्रतिशत तक बढ़ा कपास उत्पादन’ शीर्षक से प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। इस प्रयोग को लेकर कृषि विभाग ने केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र नागपुर के समक्ष योजना बताई। इस पर अनुसंधान केंद्र ने इसे पायलेट प्रोजेक्ट में शामिल करने पर सहमति जताई है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से अनुदान भी उपलब्ध कराया जाएगा। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरने के साथ कपास उत्पादन बढ़ेगा। गौरतलब है कि जिले में करीब दो लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में कपास की खेती की जाती है।
Published on:
14 Feb 2024 12:05 pm
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