
ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रों में दस महाविद्याओं की पूजा का विधान है। ये दस महाविद्याएं है- काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला। ये दस महाविद्या आदि शक्ति की अवतार मानी जाती हैं। गुप्त सिद्धियों को पाने के लिए इस नवरात्रि को सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है।एक ऐसी ही जगह एमपी के खरगोन से लगभग 59 किलोमीटर दूर विध्यांचल पर्वत से लगा हुआ चोली गांव है। इसे मिनी बंगाल भी कहा जाता है।
क्या है गांव की विशेषता
इस गांव में चौसठ योगिनी,52 भैरव,12 शिवलिंग और साढ़े ग्यारह हनुमान होने से गांव को 108 शक्तिपीठ में से तंत्र विद्या का गढ़ माना जाता है। इस गांव में साधु, तांत्रिक यहां सिद्धियां प्राप्त करने आते है। आज भी लोग शारदीय नवरात्रि, गुप्त नवरात्रि, चौदस एवं उजाली में यहां आकर क्रियाएं कर सिद्धियां प्राप्त करते हैं।
गांव में मौजूद हैं शक्तियां
हरिद्वार के द्वारकापुरी महाराज यहां लगभग 17 सालों से चौसठ योगिनी माता मंदिर में सिद्धियां प्राप्त करने के लिए उपासना कर रहे हैं। उनका कहना है कि गांव में आज भी कई शक्तियां मौजूद हैं।इसलिए इस गां व को तंत्र-मंत्र का गढ़ माना जाता है। यहां पर नवरात्रि में माता रानी की पूजा की जाती है।
काशी कहलाता ये गांव!
ऐसी कहा जाता है कि हनुमानजी की इस गांव में साढ़े ग्यारह हनुमान मूर्तियां हैं। कौरव पांडव के समय छः माह की रात्रि यानी सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच में हुआ था। ग्यारह मूर्तियां तो पूर्ण रूप से बन गई थी लेकिन जब बारहवीं मूर्ति का काम चल रहा था, तब सुबह हो गई और मुर्गे की बांग(मुर्गे की आवाज) के साथ काम बंद हो गया था। इस वजह से मूर्ति का कार्य अधूरा रहा गया। अगर इस मूर्ति का काम पूरा हो जाता तो गांव की पहचान काशी के रूप में होती।
Updated on:
13 Feb 2024 02:13 pm
Published on:
13 Feb 2024 02:12 pm
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