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बेरीवाल परिवार से वाजपेयी का था अटूट नाता

जब भी आते कोलकाता, ठहरते परिवार के घर में, खाते फुचका, देखते फिल्म

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बेरीवाल परिवार से वाजपेयी का था अटूट नाता

कोलकाता

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (९३) के निधन की खबर सुनते ही कोलकाता के बेरीवाल परिवार के सदस्य गुरुवार शाम बिलख पड़े। १६७ नं. व २८० नं. चितरंजन एवेन्यू से अटल के गहरे संबंध थे। पुरानी यादों को स्मरण करते हुए वाजपेयी के करीब मित्र घनश्याम बेरीवाल ने पत्रिका को बताया कि वाजपेयी का नाता एक परिवार के सदस्य की तरह है। उनसे पहली बार मुलाकात दिल्ली में १९५६ में हुई थी। उस समय वह राष्ट्रीय स्वयं संघ (आरएसएस) केएक छोटे से कार्यकर्ता थे। उनका व्यक्तित्व काफी प्रभावशाली था। भारतीय राजनीति के वे एक ऐसे नेता हैं जिसका विरोध विरोधी भी नहीं करते थे। उनके लिए कोलकाता एक घर के समान था। उनका बिहार, ओडिशा में जब भी कार्यक्रम होता था। वे वाया कोलकाता अपना कार्यक्रम रखते थे। अटल ने कई बार आकस्मिक दौरा कर बेरीवाल परिवार को चौंका दिया था।

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खाने के थे शौकीन
वाजपेयी को करीब से जानने वाले घनश्याम बेरीवाल ने बताया कि वे स्वभाव से हीरा थे। साधारण कार्यकर्ता से प्रधानमंत्री बनने तक उनके स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं आया। जो भी उनके एक बार मिलता उनका हो जाता था।

वाजपेयी कोलकाता के फुचका के मुरीद थे। वे बालकनी में बैठक कर गोलगप्पे (फुचका) का स्वाद लेते थे। अटल जी नॉनवेज खाने के शौकीन थे। बेरीवाल परिवार शाकाहारी है। वे जब भी कोलकाता आते थे वे बेरीवाल हाउस में ठहरते थे। शुद्ध शाकाहारी भोजन चाव से ग्रहण करते थे।

--पांचवीं मंजिल का कमरा नम्बर ३

बेरीवाल हाउस की पांचवीं मंजिल का कमरा नम्बर ३ से अटल जी का खास लगाव था। बेरीवाल ने बताया कि अटल जी टॉप फ्लोर पर कमरा नम्बर ३ में विश्राम करते थे। इस कमरे में अटैच्ड बाथरूम नहीं है। तो भी वे इस कमरे में रहना पसंद करते थे। वे बेहद सरल व निर्मल ह्रदय वाले व्यक्ति थे।

--चाय बनाकर पिलाई

घनश्याम बेरीवाल की बहू प्रतिभा बेरीवाल ने बताया कि जब वह शादी कर घर पर आई थी। उस समय अटली जी सांसद थे। और उनकी राष्ट्रीय पहचान थी। अटल जी को को हमेशा एक परिवार के सदस्य के रूप में हमने पाया है। उन्होंने अपने हाथ से चाय बनाकर हमलोगों को पिलाई थी। साधारण होते हुए उनका चरित्र काफी महान है।

-फिल्म देखने के शौकीन
अटल जी फिल्म देखने के बेहद शौकीन थे। १९८१ में बनी उमराव जान फिल्म को कोलकाता में देखने के बाद वे इस फिल्म की सीडी दिल्ली ले गए थे। बेरीवाल के घर में अटली जी ने यह फिल्म देखी थी। यह फिल्म उन्हें बेहद पसंद थी।