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कविता के जरिया ममता का मोदी की अर्थव्यवस्था पर वार

पेट्रोल मूल्य वृद्धि, नोटबंदी, विदेशी विनिमय के घटने रुपए के टूटने और जीएसटी के विरोधी ताने-बाने से बुनी गई है कविता

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कविता के जरिया ममता का मोदी की अर्थव्यवस्था पर वार

भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित होने पर नोटबंदी का कड़ा विरोध करने के क्रम को जारी रखते हुए ममता बनर्जी ने इस दिन देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर लिखी गई अपनी कविता सोशल मीडिया पर प्रकाशित की।
कोलकाता
असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) और कथित साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कविता के जरिए भाजपा और केन्द्र सरकार पर वार करने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार कविता लिख कर केन्द्री की मोदी सरकार की अर्थव्यवस्था पर वार किया है। भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित होने पर नोटबंदी का कड़ा विरोध करने के क्रम को जारी रखते हुए ममता बनर्जी ने इस दिन देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर लिखी गई अपनी कविता सोशल मीडिया पर प्रकाशित की। उनकी नई कविताएं नोटबंदी, इससे उत्पन समस्याओं, पोट्रोलियम पदार्थों की कीमते बढऩे, देश में विदेशी विनिमय के घटने, करेन्ट अकाउन्ट की कमी, रुपए के टूटने और जीएसटी के विरोधी ताने-बाने से बुनी गई है। अपने फेसबुक पोस्ट में ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा था कि काले धन को जप्त करने के लिए केन्द्र सरकार ने दो साल पहले नोटबंदी कर पुराने नोट रद्द कर दी थी। अब केन्द्र सरकार से उनका पहला सवाल है कि काला धन कहां गया। ममता बनर्जी का यह बयान उस समय आया है, जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस दिन जारी वर्ष 2017-18 की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जितने रकम के 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट रद्द किए गए थे, उसका 99.3 प्रतिशत धन बैंकों में वापस आ गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को नटबंदी कर 15.41 लाख करोड़ मूल्य के 500 और 1000 रुपए के नोट को रद्द कर दिया था। सरकार ने अपने कदम को देश में छुपाए गए काले धन को जप्त करने वाला कदम बताया था। अपने फेसबुस पोस्ट में ममता बनर्जी केन्द्र सरकार से दूसरा सवाल किया है कि क्या नोटबंदी काले धन रखने वालों को जल्द से अपने काले धन को सफेद धन में बदने की योजना के रूप में लागू किया गया था।