
50 फीसदी क्षमता के साथ बसें चलाना मुश्किल: बस मालिक
कोलकाता. कोविड-19 नियमों में ढील मिलने और बसों के संचालन की अनुमति मिलने के बाद भी गुरुवार को अधिकांश निजी बसें सडक़ों से दूर रहीं। शुक्रवार को जब सरकारी कार्यालय खुलेंगे तो यात्रियों की संख्या बढ़ेगी तब लोगों की परेशानी और बढ़ेगी। गुरुवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. विधान चंद्र रॉय की जयंती एवं पुण्यतिथि को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के रूप में मनाए जाने को लेकर राज्य सरकार की ओर से राजकीय अवकाश की घोषणा की गई थी। सरकारी कार्यालय बंद थे। इसलिए बसों में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या कम थी।
निजी बस मालिकों ने बताया कि ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी और सिर्फ 50 फीसदी बैठने की क्षमता के साथ बसें चलाना मुश्किल हो रहा है। बस मालिक और ड्राइवर दलबीर सिंह ने अपनी पीड़ा जाहिर की। उन्होंने कहा कि बसों को चलाने के लिए हमें डीजल की जरूरत होती है। इसकी कीमत अब प्रति लीटर 93 रुपए के करीब है। हर बस को चलाने के लिए रोज 40-45 लीटर डीजल की जरूरत होती है। इसका मतलब है एक बस को चलाने की लागत तीन से चार हजार रुपए बैठती है। उसने कहा कि कोरोना की वजह से राज्य सरकार के निर्देश के तहत हम सिर्फ पचास फीसदी बैठने की क्षमता के साथ ही बसें चला सकते हैं। ऐसे में खर्च का प्रबंधन और आय कैसे होंगे? उन्होंने कहा कि लम्बे अर्से से बस किराये में वृद्धि नहीं हुई है। सरकार को हमारी मांगों पर विचार करना चाहिए। ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन कुमार बनर्जी ने कहा कि 50 फीसदी यात्रियों के साथ बसें चलाने में 50 नहीं 100 फीसदी तेल लगेगा। डीजल का दाम प्रति लीटर 92 रुपये पार कर गया है। मौजूदा किराए में हमारे लिए बसें चलाना संभव नहीं। जब आमदनी ही नहीं तो बसें चलाकर क्या लाभ?हमने राज्य सरकार को हमारे आय-व्यय का पूरा ब्योरा दे दिया है। राज्य सरकार उसपर गौर करे और नया किराया तय करे।वेस्ट बंगाल बस एंड मिनी बस ऑनर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रदीप नारायण बोस ने कहा कि बसें नहीं चलने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। तेल के दाम बढ़ रहे उन पर केंद्र का कोई नियंत्रण नहीं।
Published on:
01 Jul 2021 10:55 pm
बड़ी खबरें
View Allकोलकाता
पश्चिम बंगाल
ट्रेंडिंग
