
बाल विवाह पर कन्याश्री योजना के जरिए ब्रेक, फिर भी चुनौतियां बरकरार
कन्याश्री योजना पश्चिम बंगाल में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उन्हें सशक्त बनाने के साथ ही बाल विवाह में कमी लाने में सफल रही है। राज्य में बाल विवाह दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। योजना की सफलता अन्य क्षेत्रों में बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई और लैंगिक समानता की उन्नति में एक मॉडल के रूप में कार्य कर रही है। फिर भी इसके लागू होने के 12 वर्ष बाद इसकी कुछ चुनौतियां बरकरार हैं। सरकार इस योजना के तहत पंजीकरण कराने वाली सभी लड़कियों को वित्तीय मदद देने के लिए धन जारी नहीं करती है। इसके अलावा अब भी यह योजना आर्थिक और सामाजिक तौर से पिछड़े एक बड़े वर्ग की लड़कियों की पहुंच से दूर है। इनमें राज्य के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी, दलित और पिछड़े समाज की लड़कियां शामिल हैं। नतीजा बंगाल में बाल विवाह बदस्तूर जारी है। आर्थिक अभाव और सामाजिक दबाव में इन वर्ग के लोग जिम्मेदारी से मुक्ति के लिए अब भी अपनी बेटियों को बाल विवाह की भट्टी में झोंक रहे हैं।
बंगाल के कुछ जिले में तो बाल विवाह में कोई कमी ही नहीं आई। एनएफएचएस आंकड़ों के अनुसार, जलपाईगुड़ी, मालदह और उत्तर दिनाजपुर जिलों में लड़कियों के बाल विवाह में काफी कमी आई है लेकिन, हारवा, कोलकाता, हुगली, बांकुड़ा, कूचबिहार, मुर्शिदाबाद, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर में लड़कियों के बाल विवाह घटने के बजाए बढ़ गए।
सामाजिक विकास के संकेतकों में महिलाओं के मां बनने की उम्र भी शामिल है। एनएफएचएस के आंकड़ों के अनुसार एक और महत्वपूर्ण सवाल यह था कि 2019-20 में 15-19 साल की उम्र में ऐसी लड़कियों की संख्या कितनी है, जो पहले से ही मां बन गई हैं या गर्भवती हैं। यह पाया गया है कि मुर्शिदाबाद, बीरभूम, मालदह, कूचबिहार, नदिया और पुरुलिया जिले में 15 से 19 वर्ष से कम उम्र की 20 प्रतिशत से अधिक महिलाएं या तो पहले से ही मां थी या गर्भवती थी।
हाल के अध्ययन से पता चला है कि लैटिन अमरीका और पाकिस्तान सहित दुनिया के विभिन्न देशों में लिंग भेद विशेषकर शिक्षा और शादी के क्षेत्र में बरकरार है। ऐसे में सशर्त नकद हस्तांतरण (सीसीटी) योजनाएं इस क्षेत्रों की स्थिति में सुधार लाने में महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभरी हैं। इसी तरह सशर्त नकद हस्तांतरण योजना कन्याश्री भारत के अन्य राज्यों में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ कम उम्र में उनकी शादियों पर रोक लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जहां शिक्षा लड़कियों की पहुंच से बहुत दूर है और अधिक बाल विवाह हो रहे हैं। इनमें झारखंड सबसे ऊपर है।
कन्याश्री योजना बंगाल में बाल विवाह दर को कम करने में सफल रही है। यह झारखंड जैसे दूसरे राज्यों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है, जहां बाल विवाह देश में सबसे अधिक हो रहे हैं। फिर भी इसकी कुछ चुनौतियां हैं, जिनका समाधान करने की आवश्यकता है। इस योजना को राज्य की उन सभी लड़कियों तक अनिवार्य रूप से पहुंचाना भी चुनौती है, जो दूरदराज इलाकों में रहती हैं। बाल विवाह को कायम रखने वाले पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण और मानदंडों की निरंतरता को भी संबोधित करना जरूरी है। उन आर्थिक और सामाजिक दबावों पर भी ध्यान देने की जरूरत है जो परिवारों को बाल विवाह करने के लिए प्रेरित करते हैं। कन्याश्री के प्रभाव की निरंतर निगरानी और मूल्यांकन की भी आवश्यकता है।
अजिताभ रॉय चौधरी, अर्थशास्त्री
Published on:
18 Oct 2024 05:13 pm
बड़ी खबरें
View Allकोलकाता
पश्चिम बंगाल
ट्रेंडिंग
