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नंदीग्राम से ममता की एक तीर से कई शिकार की कोशिश

राजनीति: तृणमूल विधायक ने इसे पार्टी प्रमुख का मास्टर स्ट्रोक बताया

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नंदीग्राम से ममता की एक तीर से कई शिकार की कोशिश

नंदीग्राम से ममता की एक तीर से कई शिकार की कोशिश

रवींद्र राय

कोलकाता. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में आर या पार का मुकाबला होने जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जमीन आंदोलन को लेकर सुर्खियों में रहे नंदीग्राम से विधानसभा चुनाव लडऩे का ऐलान कर एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की हैं। उन्होंने हाल में पाला बदलने वाले पार्टी के दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी के गढ़ नंदीग्राम से हुंकार भरते हुए कहा है कि वह अपनी पारंपरिक सीट भवानीपुर के साथ नंदीग्राम से भी चुनाव लड़ेंगी। इसके साथ ही वह विधानसभा चुनाव में लडऩे वाली पहली प्रत्याशी बन गई हैं तथा नदींग्राम राज्य की सबसे वीआईपी सीट बन गई है। शुभेंदु की सीट नंदीग्राम से चुनाव लडऩे का ऐलान करके सभी को चौंकाने वाली ममता ने साफ किया कि नंदीग्राम से उनका दिल का नाता है। 2007 में उन्होंने यहीं से जबरन भूमि अधिग्रहण को लेकर आंदोलन किया था। तब किसानों की जमीन लेने की कोशिश की गई थी, भाजपा अब किसानों से उनकी उपज छीनने की कोशिश कर रही है। किसान आंदोलन के समय एक तरह से उन्होंने खुद को उनका हितैषी बताने का प्रयास भी किया है। तृणमूल सूत्रों के मुताबिक कई पार्टी नेताओं को यह उम्मीद नहीं थी कि ममता नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी। हालांकि पश्चिम मिदनापुर के पार्टी विधायक ने इसे ममता का मास्टरस्ट्रोक करार दिया है। उनका कहना है कि यदि शुभेंदु इस चुनौती को स्वीकार नहीं करते हैं तो उनकी साख पर आंच आएगी तथा यदि वे स्वीकार करते हैं तो उनको यह सीट बचाने के लिए 24 घंटे मेहनत करनी पड़ेगी। वे राज्य के अन्य क्षेत्रों में प्रचार करने का समय नहीं दे पाएंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी की अंदरुनी बैठक में ममता को नंदीग्राम से उतारने का प्रस्ताव लाया गया था।
मेरी आत्मा जुड़ी है नंदीग्राम से: सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि नंदीग्राम से मेरी आत्मा जुड़ी है। यहां के लोगों के जमीन आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। मेरे लिए नंदीग्राम भाग्यशाली है। 2016 के विधानसभा चुनाव में मैं यहां से प्रचार अभियान शुरू किया था तथा जीत मिली थी। हम फिर 2021 में बाजी मारेंगे। ममता ने 21 दिसम्बर 2015 को से यहां से चुनावी बिगुल फूंका था। हालांकि तब से राज्य की राजनीति काफी बदल गई है। पिछले विधानसभा चुनाव में महज तीन सीटें जीतने वाली भाजपा अब राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बनकर उभर गई है। पिछले लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतकर भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 200 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
तृणमूल को सता रहा हार का डर: भाजपा
भाजपा ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस को डर लग रहा है। उसके पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई है, इसलिए ममता ने अचानक यह घोषणा की है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भवानीपुर में हार भांप गई हैं। इसलिए उन्होंने घोषणा की कि वह नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी, लेकिन वह वहां भी हारेंगी। तृणमूल कांग्रेस हर जगह हारेगी।
शुभेंदु ने स्वीकार की है चुनौती
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने उनकी विधानसभा सीट नंदीग्राम से चुनाव लडऩे की मुख्यमंत्री द्वारा दी गई चुनौती स्वीकार कर ली है। हालांकि उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों पर आखिरी निर्णय भाजपा नेतृत्व विस्तृत चर्चा के बाद लेगा, न कि जैसे तृणमूल कांग्रेस में मनमाने तरीके से होता है। अधिकारी ने कहा कि यदि मुझे मेरी पार्टी नंदीग्राम से चुनाव मैदान में उतारती है तो मैं उनको कम से कम 50000 वोटों के अंतर से हराऊंगा, अन्यथा मैं राजनीति छोड़ दूंगा।
सत्ता दिलाने में नंदीग्राम की अहम भूमिका
ममता को बंगाल की सत्ता दिलाने में नंदीग्राम की अहम भूमिका रही है। पूर्व मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम में विशेष आर्थिक क्षेत्र के निर्माण के लिए तत्कालीन वाममोर्चा सरकार के जबरन भूमि अधिग्रहण को लेकर उन्होंने धरना दिया था, लेकिन नंदीग्राम के हीरो के रूप में शुभेंदु अधिकारी को प्रोजेक्ट किया जाता है जो कभी ममता के करीबी हुआ करते थे। कहा जाता है कि नंदीग्राम आंदोलन की पटकथा शुभेंदु अधिकारी ने ही तैयार की थी। इस आंदोलन के चलते बंगाल में 34 साल से सत्तारूढ़ वामोर्चा का सूर्य अस्त हो गया था।े