
पश्चिम बंगाल में बाल तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट भडक़ा
- राज्य सरकार को सुनाई खड़ी खोटी
नई दिल्ली.
देश का सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में बच्चों की तस्करी और खरीद-फरोख्त जारी रहने के सूचनाओं पर कड़ा तेवर दिखाया है। कोर्ट इस बात पर भडक़ गया कि बाल तस्करी की समस्या अत्यंत गंभीर है। बावजूद इसके राज्य में केवल मात्र दो ही बाल कल्याण समितियां (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) काम करती हैं, जबकि राज्य में कुल 23 जिले हैं। कोर्ट ने इसको लेकर राज्य सरकार को तगड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या यह संभव है कि 23 जिलों का काम केवल दो बाल कल्याण समितियां देख सकती हैं?'
न्यायाधीश मदन बी. लोकुर,न्यायाधीश एस. अब्दुल नजीर और न्यायाधीश दीपक गुप्ता की खण्डपीठ ने बाल आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चों के शोषण से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जानना चाहा कि राज्य के 23 जिलों में केवल दो बाल कल्याण समितियों की सक्रियता बच्चों के कल्याण के लिए पर्याप्त है? राज्य के बाकी बचे जिलों में समितियों में खाली जगहों को भरने के लिए सरकार की ओर से कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया?
सकते में पड़े पश्चिम बंगाल सरकार के वकील-
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत के सवालों से राज्य सरकार के वकील सकते में पड़ गए। कोर्ट ने सरकार के वकील से पूछा कि 'आपके राज्य में बाल तस्करी की घटनाएं होती हैं, क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि मामला कितना गंभीर रूप ले रहा है। विभिन्न मीडिया में प्रकाशित समाचारों से स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल में बाल तस्करी भी हो रही है। इस पर सरकार को काफी गंभीर रूप अख्तियार करना चाहिए। यही नहीं ऐसे बच्चों की हिफाजत करना भी सरकार का दायित्व बनता है। तब राज्य सरकार के वकील ने अपनी सफाई में कहा कि चाइल्ड वेलफेयर समितियों में शून्य पदों को भरने के लिए नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह काम पहले क्यों नहीं किया गया? ऐसा नहीं है कि समस्या अचानक आ खड़ी हुई है। यह बिल्कुल गलत बात है।
Published on:
22 Aug 2018 03:24 pm
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