1924 में सेवा हुई थी शुरू
1924 में शुरू जब हवाई सेवा शुरू हुई थी तब कोलकाता से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें थीं लेकिन, बाद में उसे बंद कर दिया गया। उस हवाई सेवा को फिर से शुरू करने के लिए यह प्रस्ताव लाया गया है।प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए शुभेन्दु अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले ही राज्य सरकार को अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित करने के लिए आवश्यक अनुमति दे चुकी है।
अगर इस संबंध में चंद्रिमा भट्टाचार्य के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल राज्य की मांगों को लेकर केंद्रीय नागरिक सुरक्षा मंत्री केआर नायडू या राज्य मंत्री मुरलीधर मोहल के पास जाता है, तो भाजपा के एक या अधिक विधायक उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल हो सकता है। मंत्री चंद्रिमा ने नेता प्रतिपक्ष को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने अपना प्रस्ताव दिया है। लेकिन, प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा इसका निर्णय सदन के नेता (मुख्यमंत्री) ममता बनर्जी करेंगी।
नेता प्रतिपक्ष की सहमति संघीय ढांचे के लिए अच्छा : मंत्री
चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के स प्रस्ताव पर सहमत होने से इस प्रस्ताव को बेहद महत्वपूर्ण है। इससे पहले हम लोगों ने भाजपा विधायकों को केन्द्र से बंगाल के बकाया पैसे मांगने के लिए दिल्ली जाने वाले राज्य के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था लेकिन, भाजपा विधायक इस पर सहमत नहीं हुए। हम लोग यह प्रस्ताव बंगाल की भलाई के लिए दिया था। इस मामले में कोई राजनीतिक विरोध नहीं हो सकता। तथ्य यह है कि शुभेंदु कोलकाता से सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ान शुरू करने के प्रस्ताव पर सहमत हुए हैं, यह संघीय ढांचे के लिए अच्छा है।
बंगाल की जनता के हित लिया निर्णय : शुभेन्दु
सदन के बाहर शुभेन्दु अधिकारी ने कहा कि बंगाल के दो करोड़ 28 लाख लोगों ने हमें वोट दिया है। इस लिए सदन में हम जनता की बात करने आए हैं। अगर राज्य के विकास के लिए यहां की सरकार कोई सहायता मांगेगी, तो हम हर तरह से मदद करने को तैयार हैं। बंगाल विभाजन के विरूद्ध राज्य सरकार ने जो प्रस्ताव लाया था, हमने उसमें संशोधन करने का प्रस्ताव दिया था। संशोधन राज्य सरकार की ओर से स्वीकार कर लिया गया था। हमने प्रस्ताव का समर्थन किया। इसलिए इस मामले में भी समर्थन करने में हमें कोई आपत्ति नहीं है। पिछले सोमवार को सदन में केंद्र की ओर से बंगाल को वंचित करने का प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए शुभेन्दु ने केंद्र सरकार से बकाया वसूलने में राज्य को अपना समर्थन जताया था। हालांकि उन्होंने कुछ शर्तें भी रखी थी। उन्होंने सत्तापक्ष से इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों को सूचित कर राज्य की मांगों को लेकर केंद्र सरकार से आवेदन करने और इसमें पारदर्शिता रखने की मांग रखी थी।