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West Bengal Assembly Elections 2021: जनजाति, मतुआ और अल्पसंख्यक समुदाय की होगी अहम भूमिका

West Bengal Assembly Elections 2021 पांचवां चरण: उत्तर और दक्षिण बंगाल की 45 सीटों पर मतदान कल

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- केन्द्रीय मंत्री बघेल द्वारा सीएम पर किए हमले का किया पलटवार

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कोलकाता. पांचवें चरण में शनिवार को राज्य के उत्तर और दक्षिण बंगाल की 45 सीटों पर मतदान होना है। इस चरण को तृणमूल कांग्रेस के लिए बहुत अहम माना जा रहा है।

जिन 45 सीटों पर पांचवें चरण में मतदान होना वहां 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को टीएमसी की तुलना में ज्यादा वोट मिले थे।

भाजपा ने यहां 45त्न$ मतदान हासिल किया था तो वहीं टीएमसी को 41.5त्न वोट मिले थे। 2016 में भी टीएमसी ने इनमें से 32 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

2011 में पार्टी इससे ५ सीटें कम मिली थी। एनआरसी, सीएए, जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

उत्तर बंगाल के तीन गोरखा बहुल जिलों दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और जलपाईगुड़ी की 13 सीटों पर भाजपा मजबूत है तो दक्षिण बंगाल के 3 जिलों बर्दवान (पूर्व), उत्तर चौबीस परगना और नदिया की 32 सीटों तृणमूल का दबदबा है।


समुदाय को लुभाने की कोशिश
दक्षिण बंगाल की 32 सीटों में से उत्तर 24 परगना और नदिया जिले की सीटों में मतुआ और अल्पसंख्यक वोट निर्णायक हैं। भाजपा की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित कई नेता रैलियां कर चुके हैं।

बांग्लादेश यात्रा को लेकर पीएम पर मतुआ समुदाय को लुभाने की कोशिश का आरोप लगा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मतुआ समुदाय से जुड़े कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, विष्णुपुर और बनगांव के क्षेत्रों में जीत हासिल की थी। यह समुदाय पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से से आता है।

मतुआ समुदाय सीएए के तहत नागरिकता दिए जाने की मांग कर रहा है। भाजपा सीएए के माध्यम से मतुआ शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना चाहती है।

ऐसे में वे समुदाय भाजपा की ओर जा सकता है। एक समय ममता बनर्जी से भी इस समुदाय के अच्छे संबंध थे।