कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस और राज्य सरकार के बीच राज्य संचालित विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद में अब सरकार समर्थित पूर्व कुलपति और शिक्षाविदों ने भी राजभवन के गेट पर धरना डाल दिया है। कुलपतियों और शिक्षाविदों के इस मंच ने जहां सी वी आनंद बोस पर अंतरिम कुलपति की नियुक्ति के मामले में मनमानी करने का आरोप लगाया तो वही बोस ने कुलपतियों पर भ्रष्टाचार और यौन उत्पीड़न समेत कई आरोप लगाए।
राज्यपाल के आरोप तो कुलपति के पलटवार
उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और शिक्षाविदों के मंच के प्रवक्ता ओमप्रकश मिश्रा ने कहा कि पहले तो हम शांतिपूर्वक मौन प्रदर्शन करेंगे। उच्च शिक्षा से जुड़े हुए लोग राजभवन के उत्तरी गेट के आगे विरोध प्रदर्शन करेंगे और इसका नेतृत्व प्रतिष्ठित शिक्षाविद करेंगे ।
मिश्रा ने आगे कहा कि हम राज्यपाल का तख्तियों के साथं विरोध करेंगे क्योंकि राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों का पदेन कुलाधिपति होने के नाते मनमानी से विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपति की नियुक्ति की है जिससे राज्य की उच्च शिक्षा प्रणाली के खिलाफ आराजकता फैली है।
इसी के साथ मिश्रा ने कहा कि हम पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा उच्च शिक्षा से सम्बन्धित पारित विधेयकों पर राज्यपाल की निष्क्रियता के खिलाफ भी प्रदर्शन करेंगे क्योंकि ये असंवैधानिक है। मिश्रा ने राज्यपाल द्वारा कुलपतियों पर लगाए गए आरोपों का भी खंडन किया।
गुरूवार को एक वीडियो जारी कर राज्यपाल ने कुलपतियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ कुलपतियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप है , कुछ अन्य पर छात्राओं के उत्पीड़न के आरोप है जबकि कुछ अन्य राजनीतिक खेल में शामिल है।
यहीं कारण हैं कि मैं अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति करते समय राज्य सरकार की पसंद के अनुसार नहीं जा सका। मैं चाहता हूँ कि राज्य के विश्वविद्यालय हिंसा और भ्रष्टाचार से मुक्त हो और भारत में सर्वश्रेष्ठ हो।
उन्होंने यह भी कहा कि वे विश्विद्यालयों को हिंसा और भ्रष्टाचार से मुक्त करने की लड़ाई जारी रखेंगे।