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कर्मों में योग ही कौशल – राजेश व्यास

- कृष्ण पद वंदना एवं ध्यान योग का वर्चुअल कार्यक्रम

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कर्मों में योग ही कौशल - राजेश व्यास

कर्मों में योग ही कौशल - राजेश व्यास

कोलकाता. श्रीकृष्ण योग ट्रस्ट के आधिकारिक पेज पर रविवार को कृष्ण पद वंदना एवं ध्यान योग का वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किया गया। योगरू कर्मसु कौशलम् पर आयोजित फेसबुक पर लाइव कार्यक्रम में योगाचार्य राजेश व्यास ने बताया कि प्राय: इस श्लोक की व्याख्या गलत समझी जाती है। कर्मों में योग ही कौशल यानी कुशलता हैं।सफलता या असफलता में सम रहते हुए कर्म करना कौशल है न कि कर्मों को कुशलता से करना। यदि कर्मों को कुशलता से करना योग होता तो शातिरता से की चोरी भी योग कहलाती। मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करने का अभ्यास कराते हुए उन्होंने बताया कि अंतर्मन में उतरने और अंतर्मन की शक्तियों को जागृत करने के लिए ध्यान योग सर्वोत्तम साधन है। योगाचार्य ने बताया कि ध्यान से शरीर और मन की स्थिति बदलती है और दोनों स्वस्थ होते हैं। यदि शरीर की बात करे तो ध्यान से हृदय गति धीमी होती है, श्वासों की गति बदल जाती है और अवसाद विषाद से मुक्ति मिलती है। उन्होंने कहा कि ध्यान हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है अत: इसे हमें अपने दैनिक जीवन की दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने में ओंकार पांडेय, श्रुति व्यास ने सक्रिय भूमिका निभाई।