
हजारी फूल
Hazari Flower In Bastar: एक ऐसा फूल जिसे इलाके में सिर्फ देवी-देवताओं को ही अर्पित किया जाता है। इसके बगैर देवी-देवताओं की पूजा भी अधूरी मानी जाती है। इलाके में होने वाले मेला व जात्रा के मौके पर इस फूल की विशेष महत्ता होती है। जानकारों के मुताबिक, यह फूल इलाके में पहले नहीं होता था। लेकिन फूल की सुन्दरता और सुगंध से प्रभावित होकर बस्तर के राजा ने एक हजार कौड़ी में एक फूल परलकोट से खरीद कर यहाँ लाए थे। इस वजह से इसे हजारी फूल भी कहते हैं।
शीतला माता मंदिर समिति से पदाधिकारी दीनबन्धु ने बताया कि, इस फूल का नाम वैसे तो गिधौरी है। लेकिन इसे लोग देव फूल व हजारी फूल के नाम से ही जानते हैं। इस फूल का वैज्ञानिक नाम माइकेलिया चम्पाका है। जो अब यह फूल बस्तर की रीती- रिवाज व संस्कृति में रचा बस गया है। मंदिर समिति के सदस्य अनिरुद्ध मुखर्जी ने बताया कि, अंचल के उत्सव में देवी देवताओं के समक्ष पूजा में विशेष रूप से अर्पित किया जाता है, पर्व में इस फूल का विशेष महत्व होता है।
लोक चित्रकार व इलाके के जानकार खेम वैष्णव ने बताया कि, हजारी फूल की माला कभी गुथकर नहीं बनाई जाती है इसे धागे से केवल बांधा जाता है। अवसर विशेष पर इस फूल से एक अलग सुगंध आती है जिसे देव खुशबु कहते है। इलाके में तीन तरह के हजारी फूल पाए जाते हैं जिसमे सफेद व पीले रंग के फूल के पौधे देवगुड़ी के आसपास बड़ी मात्रा में देखे जा सकते हैं। इस फूल की खासियत होती है कि, इसे तोड़ने के बाद भी कई दिनों तक ताजा ही रहता है।
दो समुदायों को भी जोड़ता है-
जानकार बताते हैं कि जिस तरह से गंगाजल बढ़ने की परंपरा है ठीक वैसे ही दो अलग-अलग समुदायों, जात-पात के लोग आपस में अपनी दोस्ती,सम्बन्धी बनाने के लिए भी इस फूल का उपयोग करते हैं। यहाँ तक कि, हजारी फूल के नाम से मित्र या प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे को संबोधित भीबकरते हैं हजारी फूल बस्तर के लोकगीतों में बराबर इस फूल का गुणगान होता आया है।
Updated on:
28 Feb 2023 05:49 pm
Published on:
26 Feb 2023 06:30 pm
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