
Video- एक-एक कड़ी जोड़कर ढूंढ़े गए परिजन, बच्ची के जुबां पर था सिर्फ 'सीतामणी'
कोरबा। लखनऊ के पास उन्नाव में छोड़ी गई ११ साल की बच्ची के परिजनों को चाइल्ड लाइन टीम ने अथक प्रयास के बाद ढूंढ लिया है। यूपी पुलिस की टीम बच्ची को कोरबा पहुंचा गई है। बच्ची के परिजन सीतामणी इलाके में निवासरत हैं। बताया गया कि ११ साल की एक बच्ची को उसका पिता लखनऊ के पास उन्नाव में छोड़कर भाग गया।
उन्नाव पुलिस ने बच्ची को अपने संरक्षण में लिया और लखनऊ बालिका गृह में रखा गया था। वहां जब बच्ची से पूछताछ हुई तो बच्ची को केवल कोरबा और सीतामणी ही याद था। ऐसे में लखनऊ की टीम ने होम वेरिफिकेशन के लिए बाल संरक्षण इकाई के माध्यम से कोरबा चाइल्ड लाइन को इसकी सूचना भेजी। इसके बाद चाइल्ड लाइन की टीम २० दिनों तक बच्ची की तस्वीर और उसकी टूटी-फूटी जानकारी के आधार पर उसके परिजनों की तलाश करती रही। सैकड़ों लोगों से पूछताछ के बाद अचानक एक महिला मिली जिसने उस बच्ची की तस्वीर देखकर बताया कि ये उस परिवार की बच्ची हो सकती है।
जब चाइल्ड लाइन की टीम वहां पहुंची तो पता चला कि बच्ची की मां काफी पहले उसे छोड़कर जा चुकी है। एक भाई था वह भी कहीं बिछड़ गया है इसके बाद चार साल पहले वो अपने पिता के साथ कोरबा छोड़ चुकी थी। उसका पिता कबाड़ चुनने का काम करता है। इसी बीच २८ जनवरी को उसका पिता किसी बात से नाराज होकर बच्ची को उन्नाव में छोड़कर कहीं चला गया था। सबसे खास बात यह है कि अभी तक बच्ची के पिता का पता नहीं चला है, उसको ये भी पता नहीं है कि उसकी बच्ची उन्नाव से कोरबा पहुंच चुकी है। वर्तमान में बच्ची को बालिका गृह कोरबा में रखा गया है।
20 दिन भटकते रहे दर-ब-दर
चाइल्ड लाइन के आशीष प्रकाश ने बताया कि जब हमारे पास बच्ची की सूचना आई तो केवल शहर का सीतामणी इलाका ही बताया गया हमने पूरे सीतामणी का इलाका छान मारा पर कुछ पता नहीं चला। इसके बाद स्थानीय दुकानदार, राशनकार्ड, वोटरआईडी कार्ड, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, विभिन्न स्कूल, पुलिस थाने में ढूंढने पर भी कोई जानकारी नहीं मिली। बच्ची जिस जगह पर अपना घर बता रही थी वहां कोई मिला ही नहीं, बाद में पता चला कि उसक परिवार वाले काफी साल पहले वहां रहा करते थे। जिसे छोड़कर वो जा चुके हैं। बच्ची को कोरबा स्टेशन दिखाया गया वो पहचान नहीं सकी, फिर उसके पिता के कबाड़ चुनने के कार्य को ध्यान में रखकर स्टेशन के पीछे के गेट का हिस्सा दिखाया गया तो बच्ची पहचान गई। इसके बाद यह विश्वास हो गया कि बच्ची वाकई इसी इलाके से है फिर हमने अपने अभियान को और तेज कर दिया।
फिर नौ घंटे की वीडियो कॉल
जब कोई जानकारी सामने नहीं आई तो चाइल्ड लाइन की टीम ने बच्ची को वीडियो कॉल पर लिया और वो जो-जो बता रही थी उस जगह पर मोबाइल और वीडियो कॉल के साथ परिजनों की तलाश की जा रही थी। टीम के सदस्यों को इस प्रकार वीडियो कॉल लेकर घूमते देख लोगों को यह भी लगा कि कोई सर्वे हो रहा है। काफी भटकने के बाद और जब कोई उम्मीद नहीं बची तो एक महिला मिली जिसने यह अनुमान जाहिर किया कि ये बच्ची उनकी हो सकती है। फिर टीम वहां पहुंची और इसका सत्यापन किया। वो उसके चाचा का घर था इसके बाद सारी कडिय़ां जुड़ गई।
यूपी से लेकर आई टीम
चाइल्ड लाइन के इस प्रयास के बाद बच्ची के घर और रिश्तेदारों का पता चल गया है। ऐसे में यूपी पुलिस की टीम बच्ची को कोरबा लेकर आ गई। जहां बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया है। फिलहाल बच्ची को बालिका गृह में ही रखा गया है। हलांकि बच्ची के चाचा ने उसे अपने पास रखने की इच्छा जाहिर की है।
इनका रहा मार्गदर्शन
इस जबरदस्त चैलेंजिंग अभियान में महिला बाल विकास अधिकारी, सीडब्ल्यूसी, बाल संरक्षण अधिकारी, चाइल्ड लाइन के डायरेक्टर सहित समस्त कर्मचारियों का योगदान रहा।
- हमारे पास जानकारी के नाम पर केवल सीतामणी ही था। अन्य टूटी-फूटी जानकारी थी जो चार साल पहले की थी। स्थिति रेत में सूई ढूंढने वाली थी। पर हमारी टीम ने हार नहीं मानी। विभागों और अधिकारियों का सहयोग और मार्गदर्शन मिला तब जाकर हम बच्ची के परिजनों को ढूंढ सके - आशीष प्रकाश दान, चाइल्ड लाइन
Published on:
14 Mar 2019 11:48 am
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