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जनधन खाते दरकिनार, फाइनेंस कंपनी में खुलवा दिए हजारों खाते

हितग्राहियों के साथ पंचायत से आवास मित्र भी फाइनेंस कंपनी के दफ्तर में पहचानकर्ता बनकर पहुंचे थे।

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जनधन खाते दरकिनार, फाइनेंस कंपनी में खुलवा दिए हजारों खाते

जनधन खाते दरकिनार, फाइनेंस कंपनी में खुलवा दिए हजारों खाते

कोरबा. ७० साल की उम्र में मानसिंह परेशान हैं। ट्रांसपोर्ट नगर स्थित माइक्रो फाइनेंस कंपनी की दफ्तर के बाहर सुबह १० बजे से खड़े हुए थे, इसके बाद दोपहर एक बजे तक आशियाना बनाने के पैसे हाथ में नहीं मिले थे। थक कर बुजुर्ग मान सिंह फाइनेंस कंपनी के बाजू में बनी सीढ़ी पर बैठ गए। मानसिंह के जैसे १०३ खातेदार फाइनेंस कंपनी के बाहर सड़क पर लाइन लगाए थे। पैसे के लिए अपनी पारी का इंतजार कर रहे थे। हितग्राहियों के साथ पंचायत से आवास मित्र भी फाइनेंस कंपनी के दफ्तर में पहचानकर्ता बनकर पहुंचे थे। इस प्रकार की अव्यवस्था से आवास मित्र नाराज थे। इसके लिए ब्लॉक सीईओ और प्रशासनिक अफसरों को कोस रहे थे।

पूछने पर मानसिंह ने बताया कि कई साल की कोशिश के बाद प्रधानमंत्री आवास के लिए एक लाख ३५ हजार रुपए की स्वीकृति हुई है। ४५ हजार रुपए की दूसरी किस्त ट्रांसपोर्ट नगर में स्थित इक्यूटॉस माइक्रो फाइनेंस के ब्र्रांच के खाते में आई है। पर इस तेज धूप में घंटों इंतजार करने के बाद भी बाद भी पैसे नहीं मिल रहे हैं। मानसिंह के जैसे १०३ हितग्राही प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि लेने के लिए सड़क पर लाइन में खड़े होकर या सीढी पर बैठकर अपनी पारी का इंजतार कर रहे थे। इस बीच सुरक्षा गार्ड ने एक व्यक्ति को आवाज लगाई। राशि देने के लिए फाइनेंस कंपनी के दफ्तर का दरवाजा खोला।

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हितग्राही बोले, आवास मित्र और सीईओ ने कहा यहीं खुलेगा खाता
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के पास करतला और बरपाली में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा है। सहकारी बैंक भी है। लेकिन उनका खाता घर के पास खोलने के बजाए ५० से १०० किलोमीटर दूर कोरबा में खोला गया। इसके लिए सीईओ और आवास मित्र ने हितग्राहियों से आधार कार्ड जमा कराए। खाते कब खुले उन्हें भी जानकारी नहीं मिली। बताया गया है कि खाते खुल गए हैं।

एक छोटे कमरे में कंपनी का दफ्तर
ट्रांसपोर्ट नगर गायत्री मंदिर के पीछे एक छोटे कमरे में माइक्रो फाइनेंस कंपनी इक्वीटॉस का दफ्तर है। कंपनी के पास जरूरत की लिहाज से स्टॉफ नहीं है। दफ्तर में आने वाले लोगों को बैठने के लिए जगह की कमी है। बैंक के बाहर लाइन में खड़े लोगों के लिए भी शेड नहीं है। धूप में दिनभर फाइनेंस दफ्तर के बाहर खड़ा होना मजबूरी है। पानी की व्यवस्था भी नहीं है।

इन इलाकों के खाते खोले गए
विकासखंड कोरबा के लेमरू, श्यांग, सोनपुरी, कोरकोमा और पसरखेत के अलावा अन्य गांव में रहने वाले पीएम आवास के हितग्राही। विकासखंड करतला के रामपुर, करतला, बरपाली सहित अन्य गांव में रहने वाले लगभग दो हजार हितग्राहियों के खाते।

फाइनेंस कंपनी में कोरबा और करतला के चार हजार से ज्यादा खाते, मीलों तय कर आते हैं लोग
विकासखंड कोरबा में प्रधानमंत्री आवास योजना के नोडल अधिकारी ने बताया कि उनके ब्लॉक में बनने वाले चार हजार २०० पीएम आवास के हितग्राहियों का खाता इक्वीटॉस माइक्रो फाइनेंस कंपनी में है। यह खाते राष्ट्रीयकृत बैंक या हितगाहियों के निवास स्थान के आसपास स्थित बैंक में बजाए कोरबा में खोले पर नोडल ने कहा कि समय कम था। हितग्राहियों के पुराने खाते नंबर जनपद पंचायतों से नहीं मिले थे। अधिकांश पुराने खाते खाते बंद हो गए थे। बड़े बैंक तैयार नहीं थे। विवश होकर खाते माइक्रो फाइनेंस में खोलने पड़े।

-आजकल सभी काम ऑनलाइन हो रहे हैं। करतला में संचार नेटवर्क की कमी है। स्टेट बैंक और सहकारी बैंक पीएम आवास के हितग्राहियों का खाता खोलने व मेंटेनेंस करने को तैयार नहीं थे। स्टेट बैंक ने भी हाथ खड़े कर दिए थे। इससे कोरबा में माइक्रो फाइनेंस कंपनी के दफ्तर में खाता खोलवाना पड़ा। समस्या का समाधान चालू वित्तीय वर्ष में कर लिया जाएगा। जीके मिश्रा, सीईओ, करतला