
कोरबा . दीपका खदान में पुलिस पर गाड़ी चढ़ाने वाले गिरोह की पहचान कर ली गई है। गिरोह खूंटाघाट का है और गाड़ी के चालक का नाम सालिकराम है। पुलिस दीपका थाने में चालक सहित अन्य लोगों के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गयी है। इनमें एक दीपका खदान में डीजल की डकैती का जबकि दूसरी एफआईआर पुलिस पर बोलेरो चढ़ाने का है।
दर्री सीएसपी पुष्पेन्द्र बघेल ने बताया कि डीजल चोर गिरोह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज किया गया है। पहली एफआईआर दीपका खदान के सुरक्षा प्रभारी डीके पासवान की रिपोर्ट पर लिखी गई है। इसमें कहा गया है कि 15 मार्च की रात डीजल चोर गिरोह एसईसीएल की दीपका खदान में डकैती करने घुसा था।
इसकी सूचना पुलिस को मिली तो पुलिस ने घेराबंदी की। पुलिस की टीम सिविल डे्रस में दीपका खदान क्षेत्र में बोरियर के पास छिपकर बैठी थी। बेरियर को बंद कर दिया गया था। इस बीच रात लगभग 9.30 बजे एक बोलेरो आकर बेरियर के पास रूकी। गाड़ी से ड्राइवर नीचे उतरा। उसने इधर-उधर देखा। उसे संदेह हुआ तो वह फिर बोलेरो में बैठ गया। गाड़ी को आगे बढ़ाने लगा।
इस बीच सिपाही विपिन नायक और कलेष ब्यार चालक को पकडऩे के लिए दौड़े। बोलेरो चालक ने दोनों को कुचलने की नीयत से सिपाहियों पर गाड़ी चढ़ा दी। दोनों सिपाही घायल हो गए। एनसीएच में प्राथमिक इलाज के बाद दोनों को निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है। घायल सिपाही की रिपोर्ट पर बोलेरो चालक के खिलाफ 307 का केस दर्ज किया गया है। चालक की पहचान खूंटाघाट क्षेत्र में रहने वाले सालिक राम के रूप में की गई है। घटना के समय बोलेरो में सालिक राम के अलावा पांच से छह अन्य डीजल चोर भी थे।
100 लीटर डीजल जब्त
सिपाहियों को ठोकर मारकर भाग रहे गिरोह को पकडऩे के लिए पुलिस ने घेराबंदी की। गिरोह पाली थाना क्षेत्र में बोलेरो छोड़कर फरार हो गया। बोलेरो से पुलिस को अलग-अलग जेरिकेन में लगभग १०० लीटर डीजल मिला है। इस मामले में पुलिस ने दीपक खदान के सुरक्षा प्रभारी डीके पासवान की रिपोर्ट पर गिरोह के खिलाफ खदान में डकैती करने का केस दर्ज किया गया है।
सीआईटी की टीम भी लगी
इधर एसपी ने डीजल चोर गिरोह को पकडऩे के लिए सीआईटी के अलावा दीपका पाली पुलिस को दायित्व दिया है। उनकी तलाश पुलिस की अलग-अलग टीम कर रही है।
सीआईएसएफ खामोश क्यों
एसईसीएल की गेवरा और दीपका खदान में डीजल चोरी पर रोक लगाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए आसान नहीं है। इस मुश्किल को देखते हुए एसईसीएल ने खदानों की सुरक्षा का दायित्व केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को सौंपा था और हर माह लगभग आठ से 10 करोड़ रुपए का भुगतान औद्योगिक सुरक्षा बल को किया जाता है। इतनी अधिक राशि खर्च होने के बावजूद चोरी की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। कई बार ऐसे मामले भी आए हैं, जब घटना को देखकर केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों ने तत्परता नहीं दिखायी।
Published on:
18 Mar 2018 11:31 am
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