कोरबा@पत्रिका. बिजली कंपनी में काम करने वाले ठेका मजदूरों ने ताल ठोक दी है। नियमितिकरण और दुर्घटना बीमा 15 लाख रुपए देने की मांग को लेकर हड़ताल कर दिया है।
एक दिन की इस हड़ताल में ठेका मजदूरों ने काम नहीं किया। इसका असर कोरबा में छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन कंपनी के कारखानों और बिजली वितरण कंपनी में देखा गया है। उत्पादन कंपनी में कम मजदूरों से काम चलाया गया। वितरण कंपनी में कॉल सेंटर पर कर्मचारियों की कमी पड़ गई। लाइन बनाने के लिए लाइनमैन नहीं पहुंच सके।
विद्युत ठेका श्रमिक संघ के प्रदेश संयुक्त महामंत्री दर्शन कुमार रजक ने बताया कि 19 मई को संघ की ओर से एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया था। बिजली उत्पादन, वितरण और पारेषण कंपनी में काम करने वाले ठेका मजदूरों की मांगोें से प्रदेश सरकार को अवगत कराया गया था। मांग पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार को समय दिया गया।
दर्शन कुमार रजक ने बताया कि बिजली कंपनी में ठेका मजदूर नियमित कर्मचारियों के सामान काम करते हैं। दुर्घटना का शिकार होने पर नियमति कर्मचारियों को कंपनी की ओर से 40 लाख रुपए का बीमा प्रदान किया जाता है। जबकि ठेका मजदूरों को 50 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक के बीच सहानुभूति राशि दी जाती है। यह राशि बेहद कम है। संघ ने इसे बढ़ाकर 15 लाख रुपए करने की मांग की है।
सरकार ने ठेका मजदूरों की मांग को पूरा नहीं किया। इससे परेशान ठेका मजदूरों ने शुक्रवार को काम बंद हड़ताल किया। बिजली उत्पादन कंपनी के संयंत्र, वितरण कंपनी के सब स्टेशन, कॉल सेंटर, लाइन की मरम्मत और पारेषण कंपनी में काम करने के लिए ठेका मजदूर नहीं पहुंचे। रजक ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को जनघोषणा पत्र याद दिलाया, जिसमें प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर संविदा व ठेका कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया गया था। रजक ने सरकार ने वादा निभाने की मांग की। हड़ताल में शामिल ठेका मजदूर बड़ी संख्या में कोरबा कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। इसमें महिलाएं भी शामिल थी।
एचटीपीपी: चार नंबर इकाई 168 दिन तक चलने के बाद लीकेज की वजह से बंद
गौरतलब है कि हसदेव ताप विद्युत गृह कोरबा पश्चिम के इकाई क्रमांक 4 ने चार मई को बिना रूके 111 दिन 9 घंटे 53 मिनट तक लगातार चलने का रिकार्ड बनाया था।
अपने स्थापना से अब तक 38 साल के दौरान लगातार बिजली उत्पादन के अपने ही पुराने रिकार्ड को तोड़ दिया था। चार मई से लेकर 30 जून की दोपहर तक यह यूनिट लगातार उत्पादन में रही। यह भी उस स्थिति में जब यूनिट चार में एबीएल बायलर (एसीसी बेबकॉक लिमिटेड, यूनाइटेड किंगडम) की हैं, जिनके देशभर में स्थापित पुराने संयंत्र इतने अधिक दिन नहीं चल पाते हैं। इस तकनीक वाले कई प्लांट बंद भी हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में निरंतर संचालन करना एक बड़ी उपलब्धि है। हसदेव ताप विद्युत गृह में 210 मेगावाट के चार यूनिट हैं, जिनकी स्थापना 1986 में की गई थी।