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Coupe Cutting Protest: VIDEO: 1 साल बाद फिर सुलगा कूप कटिंग विवाद, ग्रामीणों ने जंगल में बंद कराया काम, 40 कुल्हाड़ी जब्त

Coupe Cutting Protest: बुधवार सुबह कोलगा गांव के ग्रामीणों ने संगठित होकर जंगल में चल रहे कूप कटिंग कार्य को जबरन रुकवा दिया। इस दौरान स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि ग्रामीणों और वन विभाग के कर्मचारियों के बीच आमने-सामने की नौबत आ गई।

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कूप कटिंग का जमकर विरोध (फोटो सोर्स- पत्रिका)

कूप कटिंग का जमकर विरोध (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Coupe Cutting Protest: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कूप कटिंग को लेकर ग्रामीणों और वन विभाग के बीच विवाद एक बार फिर गहराता नजर आ रहा है। बुधवार सुबह कोलगा गांव के ग्रामीणों ने संगठित होकर जंगल में चल रहे कूप कटिंग कार्य को जबरन रुकवा दिया। इस दौरान स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि ग्रामीणों और वन विभाग के कर्मचारियों के बीच आमने-सामने की नौबत आ गई। हालात बिगड़ते देख वन अमले को मौके से लौटना पड़ा।

घटना पसरखेत वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गुफा एरिया, बांधा पतर्रा, ढोंड़टिकरा और मोहनपुर के जंगलों की है। यहां वन विभाग द्वारा कूप कटिंग के लिए करीब 40 मजदूर लगाए गए थे। बुधवार सुबह जैसे ही मजदूर पेड़ों की कटाई में जुटे कोलगा गांव से बड़ी संख्या में ग्रामीण, जिनमें अधिकतर महिलाएं शामिल थीं, जंगल के भीतर पहुंच गए और कटाई का जोरदार विरोध शुरू कर दिया।

40 कुल्हाड़ी सहित अन्य औजार भी जब्त

ग्रामीणों के तीखे विरोध और बढ़ते आक्रोश को देखते हुए मौके पर मौजूद वन कर्मचारी घबरा गए। किसी अप्रिय घटना की आशंका के चलते उन्होंने मजदूरों के साथ कार्यस्थल छोड़ना ही उचित समझा। इस दौरान वन विभाग द्वारा मौके से करीब 40 कुल्हाड़ी सहित अन्य औजार भी जब्त किए गए।

2024 में शुरू हुई कूप कटिंग को लेकर विवाद

गौरतलब है कि कूप कटिंग को लेकर विवाद कोई नया नहीं है। इसकी शुरुआत वर्ष 2024 में हुई थी। 21 नवंबर 2024 को वन विभाग ने सलेक्शन कम इम्प्रूवमेंट (ACI) योजना के तहत कूप कटिंग का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया था। यह कार्यक्रम पसरखेत रेंज के तराईमार जंगल के कक्ष क्रमांक 1128 में किया जा रहा था। प्रशिक्षण में तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) प्रभात मिश्रा भी मौजूद थे।

इसी दौरान कोलगा गांव के ग्रामीण अचानक बड़ी संख्या में मौके पर पहुंच गए थे। ग्रामीणों ने जंगल को अपने गांव की परंपरागत भूमि बताते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी पूर्व में न देने पर नाराजगी जताई थी। इसके साथ ही वन विभाग पर कई गंभीर आरोप भी लगाए गए थे। विरोध इतना उग्र हो गया था कि स्थिति को संभालने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा था।

उस समय पुलिस, प्रशासन और ग्रामीणों के बीच त्रिपक्षीय चर्चा कर मामले के समाधान का आश्वासन दिया गया था, जिसके बाद ग्रामीण शांत हुए थे। लगातार विरोध के चलते वन विभाग ने तब कूप कटिंग कार्य पर रोक लगा दी थी। लगभग एक साल बाद वन विभाग ने दोबारा यह कार्य शुरू करने का प्रयास किया, लेकिन एक बार फिर ग्रामीण विरोध पर उतर आए।

कोरबा वनमंडल की डीएफओ ने कही ये बात

इस पूरे मामले पर कोरबा वनमंडल की डीएफओ प्रेमलता यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ग्रामीणों द्वारा इस तरह कार्य रुकवाना उचित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब तक ग्रामीणों की ओर से विभाग को न तो कोई मौखिक और न ही कोई लिखित मांग पत्र प्राप्त हुआ है। डीएफओ के अनुसार, विभाग पूरे मामले की जानकारी जुटा रहा है और आपसी चर्चा के माध्यम से समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा।

फिलहाल, कूप कटिंग को लेकर इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है और प्रशासन की नजर पूरे घटनाक्रम पर बनी हुई है। ग्रामीण जहां जंगल को अपनी आजीविका और अस्तित्व से जुड़ा बता रहे हैं, वहीं वन विभाग नियमानुसार कार्य होने की बात कह रहा है। आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि बातचीत से समाधान निकलता है या यह विरोध और उग्र रूप लेता है।