
खुलासा : जहर देकर मारा गया था गायों को, नहीं मरने पर फेंका गया तेजाब, काटे गए थे कान
कोरबा. पाली विकासखंड के ग्राम नुनेरा के स्कूल से लगे मैदान व खेतों में नौ जनवरी की सुबह 80 से अधिक गायों के शव मिले थे। इस मामले मेेें प्रशासन ने पशु विभाग के डॉक्टरों को पीएम के लिए बुलाया था। पीएम रिपोर्ट को अब तक अधिकारी सार्वजनिक नहीं कर रहे थे। पत्रिका के हाथ कई अहम सबूत लगे हैं। इसके मुताबिक नुनेरा में जब पीएम करने डॉक्टर पहुंचे थे, तो वे भी कई चीजों को देखकर आश्चर्य में पड़ गए थे।
दरअसल गायों की ये मौत सामान्य नहीं थी। भूख, प्यास या फिर ठंड तो कई बार बासी भोजन व प्लास्टिक खाने से गायों की मौत होती है, लेकिन नुनेरा के गायों की मौत जहर खाने से हुई थी। गायों के शव का रंग नीला पड़ चुका था। तभी डॉक्टरों को शक हुआ था। जब पीएम किया गया तो किडनी से लेकर कई अन्य अंग काले पड़ चुके थे। पीएम रिपोर्ट में स्पष्ट है कि इन गायों की मौत जहर सेवन से ही हुई थी। गायों के पेट में पर्याप्त आहार था। किसी भी गाय को किसी तरह की बीमारी नहीं थी।
डॉक्टर उस समय भी हैरान हो गए जब कई गाय के शरीर तेजाब से जले हुए पाए गए। डॉक्टर संभावना जता रहे हैं जहर से गाय जब नहीं मर रहे होंगे, तब उन पर तेजाब डालकर मारने का प्रयास किया गया होगा। टीम को कई गायों के कान भी कटे हुए मिले थे। शव के साथ छेड़छाड़ भी किया गया था।
पीएम के 72 घंटे पहले ही हो चुकी थी गायों की मौत
गायों का पीएम नौ जनवरी की दोपहर चार बजे किया गया था। पीएम करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक ७२ घंटे पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी। स्पष्ट है कि गायों की मौत छह जनवरी को ही हो चुकी थी। इतने दिन पहले गायों की मौत हो गई थी। इसकी खबर किसी को भी नहीं लगी यह भी एक जांच का विषय है। 72 घंटे से इतनी अधिक संख्या में गाय मृत हालत में गांव के खेतों में पड़ी हुई थी। किसी की नजर तक नहीं पड़ी। संभावना ये भी जताई जा रही है कि गायों की मौत कहीं और हुई फिर खेतों में लाकर फेंका गया होगा।
खेत वीरान, कीटनाशक का छिड़काव भी नहीं
अधिकारी ये बात कहकर इस मामले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं कि शायद किसान खेतों में कीटनाशक का छिड़काव किए होंगे। इसे खाने से गायों की मौत हुर्ई होगी, लेकिन अधिकारी भूल रहे हैं कि फसल पूरी तरह से कट चुकी थी। खेत पूरी तरह से बंजर थे। बंजर खेतों में बगैर जोताई कीटनाशक नहीं डाली जाती है। सीधे तौर पर गायों को किसी चीज में जहर मिलाकर खिलाया गया इससे उनकी मौत हुई।
एक को मोहरा बनाकर अफसरों ने जांच ही कर दी बंद
इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका शुरु से ही संदेह के दायरे में रही। पहले तो गायों की संख्या सिर्फ छह बताई गई। फिर कांजीहाउस संचालक के खिलाफ पशु क्रुरता अधिनियम ११ के तहत केस दर्ज कराया गया है, लेकिन प्रशासन ने कई बिंदुओं पर जांच ही नहीं की। पीएम रिपोर्ट से स्पष्ट हो गया है कि जहर खाने से गायों की मौत हुई तब भी इस बिंदु को नहीं खंगाला गया। गाय कहां से आई प्रशासन यह भी पता नहीं कर सका है। कांजीहाउस के संचालक पर सिर्फ एक ही आरोप है कि उसने गाय को खुले में छोड़ दिया था। इसकी सूचना नहीं दी गई थी।
वेटनरी डॉक्टरों ने आसपास के पांच गांव में जांच की, कहीं कोई बीमारी नहीं
वेटनरी डॉक्टरों ने इस मामले के सामने आने के बाद आसपास के पांच गांव मेें पशुओं की जांच की थी। जहां किसी गाय को किसी तरह की बीमारी नहीं पाई गई। पहले यह संभावना जताई जा रही थी कि गांव में कोई बीमारी फैली हुई होगी, लेकिन इस तरह कोई मामला सामने नहीं आया। वहीं रायपुर मुख्यालय से भी एक टीम मौके पर पहुंचकर जांच कर चुकी है।
गाय कोरबा जिले की थी ही नहीं, कहां से लाई गई, जांच का विषय
कांजीहाउस में उन गायों को रखी जाती है जो सड़क या फिर बाहर घूमती रहती है। आमतौर पर ये गाय उसी गांव या फिर आसपास के किसी गांव की होती हैं, लेकिन अब तक किसी भी गाय के लिए किसी गांव से कोई सामने नहीं आया। दो महीने पूर्व पशु गणना के दौरान टैगिंग की गई थी। एक गाय में टैग लगा हुआ था जिस पर बिलासपुर सेंदरी लिखा हुआ था। ऐसे में पशु तस्करी को लेकर संभावना जताई जा रही है।
-पीएम रिपोर्ट अब तक मुझे नहीं मिली है। अगर रिपोर्ट में जहर की वजह से मौत की पुष्टि होती है तो उसकी भी जांच करवाई जाएगी। सूर्यकिरण तिवारी, एसडीएम, कटघोरा
-गायों की मौत की सूचना के बाद विभाग के डॉक्टर मौके पर पहुंचकर पीएम की कार्रवाई पूरी की गई थी। शरीर नीला पड़ गया था, किसी जहरीले पदार्थ के खाने से गायों की मौत हुई होगी। गायों को किसी तरह की बीमारी नहीं थी। बिसरा रिपोर्ट जांच के लिए भेजा गया है। डॉ. एसपी सिंह, उपसंचालक, पशु चिकित्सक
Published on:
23 Jan 2020 11:23 am
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