15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

प्रदेश में पहली बार नीचे राखड़, ऊपर बनेगी बिजली, सोलर प्लांट लगाने सलाहकार नियुक्त

कोरबा. प्रदेश में पहली बार राखड़ के ऊपर बिजली उत्पादन की तैयारी है। उत्पादन कंपनी के ऐेसे राखड़ डेम जो पूरी तरह से भर चुके हैं वहां अब मिट्टी फिलिंग का काम तेज गति से किया जा रहा है। इसके बाद इसी जमीन पर सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा। उत्पादन कंपनी ने इसके लिए सलाहकार भी नियुक्त कर दिया गया है।

2 min read
Google source verification
उत्पादन कंपनियों के राखड़ डेम पूरी तरह से भरे

उत्पादन कंपनियों के राखड़ डेम पूरी तरह से भरे

गौरतलब है कि एचटीपीपी, पश्चिम विस्तार, डीएसपीएम के राखड़ डेम अब पूरी तरह से भर चुके हैं। कई बार डेम की ऊंचाई बढ़ाने के बाद शेष जगहो पर भी राखड़ फिलिंग किया जा चुका है। एनजीटी की गाइडलाइन के मुताबिक ऐसे राखड़ डेम जो पूरी तरह से भर चुके हैं। वहां मिट्टी डालकर समतलीकरण करना है। मिट्टी समतलीकरण के बाद इस जगह का सही तरीके से उपयोग करने, सस्ती बिजली तैयार कर उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की दिशा में उत्पादन कंपनी ने तैयारी शुरु कर दी है। कंपनी सलाहकार नियुक्त कर जल्द ही डीपीआर तैयार करने जा रही है। जगह के अनुरुप यह देखा जा रहा है कि किस जगह पर कितने क्षमता का प्लांट तैयार किया जा सकता है।

राखड़ डेम की ८०० हेक्टेयर का होगा उपयोग
उत्पादन कंपनी इस प्रोजेक्ट पर दिलचस्पी इसलिए ले रही है क्योंकि जमीन की पर्याप्त उपलब्धता पहले से है। राखड़ डेम के लिए पहले ही जमीन अधिग्रहण किया जा चुका है। केटीपीएस, डीएसपीएम और एचटीपीएस की क्रमश: २७७.४८ हेक्टेयर, १३३.२३ हेक्टेयर और एचटीपीएस की ४५२.४६ हेक्टेयर जमीन पर राखड़ डेम बनाया गया था। करीब आठ सौ हेक्टेयर जमीन पर तीन सोलर संयंत्र तैयार हो सकते हैं।

सबसे बड़ा सोलर संयंत्र बनाने की तैयारी
वर्तमान में प्रदेश में दो सबसे अधिक क्षमता वाले सोलर पॉवर प्लांट एक चरोदा भिलाई और दूसरा राजनांदगांव में तैयार हो चुका है। इन दोनों की क्षमता १५० मेेगावाट से कम है। उत्पादन कंपनी करीब दो सौ मेगावाट क्षमता का संयंत्र लगा सकती है। दरअसल सोलर प्लांट के लिए सबसे जरुरी जगह की उपलब्धता होती है, जितनी अधिक जगह होगी उतनी ही अधिक सोलर प्लेटें लगाई जा सकती है।

सेकी पर निर्भरता हो जाएगी खत्म
प्रदेश में बिजली की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सेकी(सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) के माध्यम से ही अलग-अलग सोलर संयंत्रों से बिजली खरीदी जाती है। उत्पादन कंपनी थर्मल, हाइड्रल के बाद अब खुद से सोलर की दिशा में कदम रखने जा रही है ताकि आने वाले दिनों में सेकी पर निर्भरता खत्म हो सके।

बंद हो चुके संयंत्र को लेकर थी मंथन
बंद हो चुके केटीपीएस संयंत्र का कबाड़ तेजी से हटाया जा रहा है। इस जगह का भी किस तरह से उपयोग किया जा सकता है। इसपर भी उत्पादन कंपनी मंंथन कर रही है। दरअसल पूर्व में बात सामने आ रही थी कि जमीन राज्य सरकार को वापस की जा सकती है, लेकिन अब कंपनी नए सिरे से तैयारी में जुट गई है।

वर्जन
राखड़ डेम जो पूर्ण रूप से भर चुके हैं वहां मिट्टी से समतलीकरण कराया जा रहा है। यहां पर सोलर प्लांट के लिए सलाहाकार नियुक्त किया गया है। जल्द ही आगे की प्रक्रिया शुरु की जाएगी।
एस के कटियार, प्रबंध निदेशक, उत्पादन कंपनी