प्रशासन द्वारा सभी जगह जमीन की तलाश पूरी कर ली है। बकायदा जमीन के हैंडओवर के लिए प्रक्रिया तेज कर दी गई है। कुछ जगह राजस्व की तो कुछ जगह निगम क्षेत्र की जमीन है। लिहाजा इसे अपने आधिपत्य में करने के लिए कागजी कार्रवाई की जा रही है। लेकिन जिन जगहों पर टॉवर लगाया जाना तय किया गया है उसमें अधिकांश जगहों पर पहले से जियो के टॉवर है। खासकर शहरी क्षेत्र में लगभग पूरे इलाके में जियो के टॉवर है। उसकेे बाद भी शहरी क्षेत्र में सबसे अधिक 30 टॉवर लगाना तय किया गया है, लेकिन करतला ब्लॉक जो कि पूरी तरह से ग्रामीण इलाका है। जहां वर्तमान में गितनी के दो टॉवर है वहां सिर्फ एक टॉवर लगाने के लिए जगह चिंहित किया गया है। इसी तरह कटघोरा ब्लॉक में कटघोरा व दीपका को छोड़कर शेष इलाका ग्रामीण है उसके बाद भी दीपका में ही एक टॉवर लगाना तय किया गया है। जबकि दीपका में पहले से टॉवर है।
जमीन के साथ सरकारी भवन की छत भी फ्री में
शासन द्वारा जारी आदेश के मुताबिक अगर किसी जगह पर सरकारी जमीन नहीं मिल पा रही है। तो इसकी जगह पर उस क्षेत्र के किसी भी सरकारी भवन की छत को भी नि:शुल्क दिया जाएगा। कोरबा में दो प्रकार के टॉवर लगने हैं जिसमें जीबीटी(ग्राउंड बेस्ड टॉवर) और जीबीएम (ग्राउंड बेस्ड मस्ट)के टॉवर लगेंगे।
श्यांग-नकिया को भूल गए
जियो के टॉवर लगाने के लिए शहरों की महंगी जमीन व उपभोक्ताओं की संख्या को देखते हुए जानबुझकर टॉवरों की संख्या शहर में अधिक रखी गई है। जबकि दूरुस्त क्षेत्र श्यांग व नकिया, विमलता, गिरारी, पुटा समेत दो दर्जन से अधिक ऐसे गांव को नजरअंदाज कर दिया गया है, जहां किसी भी मोबाइल का एक भी टॉवर नहीं है।
इन गांव मेें लगाए जाएंगे टॉवर
जामकछार, रलिया, अटारी, पेन्ड्रीडीह, सपलवा, धाजक, बगदरा, पत्थरडांड, करीमती, साखो, बारीउमरांव, तेलसरा, कुरूडीह, मुरली, सतरेंगा, रोड़ी, रतिजा, गढ़उपरोड़ा, लेमरू, गुईचुआं, दोंदरो।