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कोरबा

मोबाइल बन रहा दुश्मन! खेलकूद से दूर हो रहे बच्चे, मसल्स और हड्डियों में हो रही समस्या…

CG News: कोरबा जिले में मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल से बच्चों के आंख, मानसिक विकास के साथ ही उनके मशल्स और हड्डियों के विकास पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

कोरबाMay 25, 2025 / 03:25 pm

Shradha Jaiswal

मोबाइल बन रहा दुश्मन! (photo-unsplash image)

मोबाइल बन रहा दुश्मन! (photo-unsplash image)

CG News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल से बच्चों के आंख, मानसिक विकास के साथ ही उनके मशल्स और हड्डियों के विकास पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इससे पीड़ित मरीजों में युवा वर्ग के साथ ही पांच से 14 वर्ष के बच्चे भी चपेट में आ रहे हैं। चिकित्सकों की ओर से बच्चों को मैदान पर खेलकूद के लिए प्रेरित करने की सलाह दी जा रही है।
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कोविड-19 के बाद संचार क्रांति में तेजी आई है। युवा वर्ग के साथ ही बच्चों ने भी मोबाइल और कंप्यूटर का उपयोग अधिक कर रहे हैं। मोबाइल में प्रदर्शित गेम, रील, वीडियो सहित अन्य चलचित्र आकर्षित कर रही है। इसके लिए बच्चे एक ही स्थान पर बैठकर काफी देर तक मोबाइल और कंप्यूटर का उपयोग कर रहे हैं। इससे उनकी शारीरिक गतिविधियां नहीं हो रही है।
इसकी वजह से अब तक बच्चों के आंख और मानसिक स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ रहा था। अब बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य यानी मशल्स और हड्डियों के विकास पर विपरित असर पड़ रहा है। इससे बच्चों के बढ़ते उम्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल इस तरह के मामल रोजाना से दो से तीन मरीज सामने आ रहे हैं। इसमें 04 वर्ष की उम्र से लेकर 14 वर्ष के किशोर बच्चे भी शामिल हैं। चिकित्सक अभिभावकों को बच्चों के घर के बाहर या फिर मैदान में खेलकूद के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हर दिन दो से तीन मरीज आ रहे इलाज कराने, दी जा रही सलाह

डॉक्टर का कहना है कि मोबाइल फोन, कंप्यूटर पर गेम खेलने के बजाय उन्हें फिजिकल एक्सरसाइज वाले खेल खेलने के लिए प्रेरित करें। इनमें बैडमिंटन, टेनिस, रस्सी कूद शामिल हैं। रनिंग, साइकिलिंग और स्विमिंग भी अच्छे वर्कआउट हैं। इससे बच्चों का ध्यान मोबाइल की तरफ थोड़ा कम होगा। बच्चों को मोबाइल देने के लिए समय-सारणी बनाएं। इसे लेकर सती भी बरतें। बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। उनसे बातें करें, कहानियां सुनाएं और क्विज वगैरह खेलें।
बच्चों को आउटडोर एक्टिविटी में भी व्यस्त कराएं। साथ ही उनकी डाइट का भी ध्यान रखें। जंक फूड के बजाय उन्हें खाने-पीने में न्यूट्रिएंट्स वाली डाइट दें। बच्चों को खाना खाते समय मोबाइल देखने की आदत भूलकर भी डालें। वर्तमान में स्कूलाें में ग्रीष्मकालीन अवकाश चल रही है। ऐसे में जरूरी है कि उन्हें रोज सुबह जल्दी उठने के साथ एक्सरसाइज करवाएं। कुछ दिन लगातार ऐसा करने से वह आदत में बन जाएगी। इसमें माता-पिता को भी उनके साथ लगना होगा।
कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल ऑर्थोपेडिक डॉ. घनश्याम दीवान ने कहा की मोबाइल और कंप्यूटर के अधिक उपयोग करने की वजह से लोगों की शारीरिक गतिविधियां कम हो गई है। इसका असर मशल्स और हड्डियों में दर्द सहित अन्य परेशानी लेकर मरीज आ रहे हैं। इसमें पांच वर्ष से १४ वर्ष के बच्चे भी शामिल हैं। लोगाें को शारीरिक गतिविधियों में सक्रियता के लिए कहा जा रहा है।

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