
पहली किश्त जमा नहीं करने पर आवंटन होगा निरस्त
शहर में पिछले 20 साल में सबसे अधिक निगम का बजट खर्च हुआ है तो सामुदायिक भवन और मंच के निर्माण में। स्थिति ये है कि किसी वार्ड में 8 सामुदायिक भवन है तो कहीं 10 । मंच तो हर मोहल्ले में बना दिया गया है। इन भवनों के निर्माण में खर्च तो हो रहा है साथ ही इसके मरम्मत में लाखों फूंकना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या ये है कि इन भवनों का उपयोग साल में तीन से चार बार ही होता है। कई जगह तो भवनें खंडहर होने लगी हैं। पार्षद निधि, निगम मद से इसपर हर साल खर्च हो रहा है। लगातार बढ़ते बजट को देखते हुए निगम ने निर्णय लिया है कि अब इन भवनों का संचालन खुद ना कर प्राइवेट एजेंसी से कराया जाएगा। जो कि आयोजन के ऐवज में किराया लेगी। इसी से भवन के मेंटनेंस का खर्च उठाया जाएगा, लेकिन अब तक निगम की किसी तरह की तैयारी नहीं दिख रही है, क्योंकि कोई एजेंसी तैयार नहीं है।
तीन प्रकार के भवन, तीनों के लिए नई तैयारी
01. गीतांजलि भवन और स्टेडियम स्थित राजीव गांधी आडिटोरिएम के मेंटनेंस में सबसे अधिक खर्च निगम को उठाना पड़ रहा है। एसी, पानी, बैठक व्यवस्था, लाइट, चौकीदार रखने में खर्च हो रहा है। अब इसे किसी निजी फर्म को अनुबंध कर दिया जाएगा। जो कि हर आयोजन का एक निश्चित शुल्क वसूली करेगा।
02. निगम के बड़े व मध्यम सांस्कृतिक व सामुदायिक भवन जैसे भंडारा भवन, दशहरा मैदान भवन, इतवारी भवन, वीरसावरकार भवन को एकमुश्त प्रीमियम व मासिक किराया आधार पर ५ वर्ष के अनुबंध पर दिया जाएगा। शहर में ऐसे ४० भवन हैं।
03.गली-मोहल्लों में निर्मित छोटे सामुदायिक भवन व मंच का किराया तय कर वार्ड स्तर पर एक समिति बनाई जाएगी। समिति इसका संचालन करेगी। समिति मेें जोनल कमिश्नर, वार्ड पार्षद, जोन उप प्रभारी होंगे।
कई समाज के लिए निगम ने भवन बनाया, खंडहर हो चुके
निगम ने अलग-अलग मद से कई समाज के लए भवन का निर्माण कराया है। कई जगह अवैध कब्जा कर उसका उपयोग किया जा रहा है तो वहीं अधिकांश भवन खंडहर होने की स्थिति में है। एक बार भवन बनाने के बाद उसकी उपयोगिता नहीं देखी जा रही है। इसमें निगम का बड़ा बजट खर्च हो रहा है।
अपनी निधि खर्च सबसे अधिक इन्हीं भवनों में करते हैं पार्षद
पार्षदों के लिए सामुदायिक भवन व मंच हर साल के लिए राशि खर्च करने का एक माध्यम बन जाता है। हर साल भवन के रंगरोगन, टाइल्स बदलने, खिड़की दरवाजे,बिजली के काम करवाने के लिए अपनी निधि फूंकते हैँ। जबकि उसकी जरुरत नहीं होती है।
Published on:
19 Jun 2022 07:14 pm
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