तेंदूपत्ता सग्रांहकों पर दबाव कि बेहतर क्वालिटी का ही हो पत्ता
तेंदूपत्ता संग्राहकों पर दबाव रहता है कि वे बेहतर से बेहतर क्वालिटी का पत्ता तोडक़र लाएं। जितनी अच्छी क्वालिटी का पत्ता होता है उस समूह का अगले साल के लिए रेट और भी अधिक हो जाता है। गांव के आसपास मैदानी इलाकों में पत्तों का स्तर बहुत अच्छा नहीं होता। इसलिए मजबूरी में ग्रामीणों को तेंदूपत्ता तोडऩे जंगल के भीतर जाना पड़ता है।
औसत हर साल ३० मामले भालू के हमले के
पिछले कई साल से भालू के हमले का औसत निकाला जाएं तो हर साल ३० हमले भालू के सामने आ रहे हैं। २०१७-१८ की बात की जाएं कुल २८ मामले सामने आए थे। जबकि २०१८-१९ मेंं ही भालू के २५ हमले सामने आए थे। इस तरह हर साल भालू के हमले बढ़ रहे हैं।
हमले के बाद मिलता है तत्कालिक मुआवजा सिर्फ ५ सौ रुपए
भालू के हमले के बाद तत्कालिक मुआवजा सिर्फ ५ सौ रुपए ही विभाग द्वारा जाता है। शासन द्वारा इसके लिए इतना ही दर तय किया गया है। जबकि भालू के हमले के बाद अधिकांश हमले में किसी के आंख तक को भालुओं ने नोंच डाला था। जबकि कई बार सिर्फ, पैर व जांघ में गंभीर रूप से जख्मी किया जा चुका है। हालांकि विभाग द्वारा आगे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।