कोरबा. कोरबा के कपोट की अमृता पावले ने जब अकेले मछली पालन शुरु किया तब गांव के लोग कहते थे ये काम पुरुषों का है। तुमसे नहीं हो पाएगा। आज अमृता के साथ १२ महिलाएं ये काम कर रही हैं। इस सीजन में ७ सौ किलो मछली बेचा है।
दूरस्थ अंचल पाली विकासखंड के कपोट की अमृता ने पहले स्वयं ये काम शुरु किया। फिर धीरे-धीरे १२ महिलाएं भी जुड़ते चली गई। गरिमा स्वसहायता समूह का गठन कर सरकार से तालाब लीज पर लेकर अब मछली पालन किया जा रहा है। अमृता बतातीं है कि गांव के ही डुगुमुड़ा तालाब को समूह ने १० साल के लिए लीज पर दिया है। गांव में जब ये काम शुुरु किया था तब गांव वाले यही कहते थे ये काम तो पुरुषों का है। महिलाएं नहीं कर सकती। इस सीजन में मछली पालन के दौरान होने वाले खर्चों को काटकर लगभग 55 हजार रूपए की आमदनी महिलाओं को हुई है। सबसे अहम बात ये कि महिलाओं का ज्यादा समय नहीं देना पड़ता। सभी महिलाएं दिन में सिर्फ एक से दो घंटे का ही समय देती हैं। सिर्फ इतने ही समय देकर महिलाएं अतिरिक्त कमाई कर रही हैं। समूह की महिलाओं को होने वाली आमदनी सदस्य के बच्चों की अच्छी शिक्षा और परिवार के जीवन-यापन में सहायक साबित हुआ है। इसे देखते हुए अब आसपास के अन्य गांव में महिलाएं प्रेरित हो रही हैं। विभाग भी कइ योजनाओं के तहत महिलाओं को मछली पालन के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
तकनीकी रुप से भी महिलाएं हुई सक्षम
सहायक संचालक मछली पालन ने बताया कि समूह की महिलाओं को मिश्रित मत्स्य बीज, ग्रासकॉर्प, कॉमनकॉर्प, मत्स्य बीज अंगुलिका तथा संतुलित परिपूरक आहार भी प्रदान किया गया है। मत्स्य विभाग द्वारा महिला समूह को तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया गया है जिससे समूह को आधुनिक तकनीक से मछली पालन करने में मदद मिली है। समूह को विभागीय मौसमी तालाबों में स्पान संवर्धन योजनांतर्गत वर्ष 2021-22 में 25 लाख मिश्रित स्पान प्रदान किया गया है।