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संडे को दिन के इस समय आपको नहीं दिखेगी अपनी परछाई ऐसा मौका साल में सिर्फ आता है दो बार

पदाधिकारियों ने खास तैयारी कर रखी

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कोरबा

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Shiv Singh

Jun 02, 2018

पदाधिकारियों ने खास तैयारी कर रखी

पदाधिकारियों ने खास तैयारी कर रखी

कोरबा . रविवार 3 जून के दिन एक ऐसा वक्त आएगा जब आपकी परछाई आपका साथ छोड़ देगी। ऐसे अवसार साल में केवल दो बार ही आते हैं। कोरबा में यह अवसर रविवार को आएगा। इस खास दिन के लिए कोरबा में विज्ञान के क्षेत्र में गहरी रूचि रखने शिक्षकों व विज्ञान सभा के पदाधिकारियों ने खास तैयारी कर रखी है।


रविवार को दिन के ठीक11 बजकर 57 मिनट पर कोरबा में शून्य छाया (जीरो शैडो) होने वाला है। जिसके बारे में 26 अपै्रल को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस विशेष घटना को देखने और इसके बारे विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिये कल रविवार को 11 बजे से एक विशेष कार्यक्रम घण्टाघर कोरबा में आयोजित किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम में विषय के विशेषज्ञ डॉ नम्रता शर्मा प्रोफेसर जिओलॉजी मिनी माता गल्र्स कॉलेज कोरबा, डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के मास्टर रिसोर्स पर्सन्स प्रोफेसर दिनेश कुमार, प्रोफेसर निधि सिंह, प्रोफेसर ज्योति दीवान, प्रोफेसर खुशबू राठौर, डॉ वायके सोना, राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस की जिला समन्वयक डॉ फरहाना अली, विज्ञान सभा कोरबा इकाई के गणित के विशेषज्ञ प्राचार्य विवेक लांडे व सूर्यकान्त सोलखे, कार्यक्रम संयोजक डिक्सन मसीह, प्रोफेसर आयशा बेगम, अविनाश यादव, विभिन्न कॉलेज एवं स्कूलों के प्रोफेसर एवं विज्ञान व खगोल शास्त्र के प्राध्यापकगण इस खगोलीय घटना की व्याख्या करने के लिये उपस्थित रहेंगे।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री एस के बंजारा (मुख्य अभियंता सीएसईबी, कोरबा) अध्यक्ष विज्ञान सभा कोरबा भाग लेंगे। विज्ञान सभा कोरबा परिवार के सभी सम्मानित सदस्यों से निवेदन है कि अपने सम्पर्क में अधिक से अधिक छात्र छात्राओं एवं इस विषय में रुचि रखने वाले लोगों को आमंत्रित कर इस कार्यक्रम स्थल पर लेकर आएं जिससे जनसामान्य को इस विशेष खगोलीय घटना के विषय मे तथ्यपरक वैज्ञानिक जानकारी दी जा सके।

वर्ष दो बार होती है ऐसी घटना
अमूमन प्रतिवर्ष दो बार ऐसा दिन आता है, जब हमारी परछाई भी कुछ वक्त के लिए हमारा साथ छोड़ जाती है। खगोलशास्त्र में इस दिन को शून्य छाया दिवस या जीरो शैडो डे कहा जाता है। दरअसल यह शून्य परछाई दिवस का वह क्षण, दिनभर के लिए नहीं, बल्कि कुछ पलों के लिए दोपहर 12 बजे के आसपास होता है।


सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायण होने के दौरान 23.5 अंश दक्षिण पर स्थित मकर रेखा से 23.5 अंश उत्तर की कर्क रेखा की ओर सूर्य जैसे-जैसे दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बढ़ता है, वैसे-वैसे दक्षिण से उत्तर की ओर गर्मी की तपन दक्षिण गोलार्ध में कम होती जाती है और उत्तरी गोलार्ध में बढ़ती जाती है।


सूर्य की किरणें पृथ्वी पर जहां सीधी पड़ती जाती है, वहां उन खास स्थानों पर दोपहर में शून्य परछाई दिवस के दिन कुछ समय के लिए ही ऐसी स्थिति निर्मित होती है। स् िठीक उसी प्रकार उत्तर से दक्षिण की ओर सूर्य वापस आते समय ठीक मध्या- में उसी अक्षांश पर फिर से शून्य परछाई बनाता है। यानि कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच दक्षिणायन होते सूर्य से यह दुर्लभ खगोलीय घटना दोबारा देख सकते हैं।