
हाड़ौती की कला एवं संस्कृति का कोटा के तीन कलाकारों ने देश भर में किया प्रदर्शन
कोटा से तीन कलाकारों ने दो महीने पहले हाड़ौती की कला एवं संस्कृति से देश-दुनिया को रूबरू कराने के लिए कोलकता से कला यात्रा शुरू की थी। जो नई दिल्ली और नैनिताल तक परवान चढ़ी। अपने अपने फन में माहिर तीनों कलाकारों डॉ अन्नु सिंह धाकड़, शंभू सिंह चौबदार और डीपी छाबड़ा ने कला यात्रा के दौरान राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय उत्सवों में हिस्सेदारी कर मूर्ति शिल्प, चित्र, अभिनय कला व संगीत प्रेमियों को हाड़ौती की विधाओं से परिचित कराया।
इस तरह हुई शुरुआत
'तीन यार' मिशन की शुरुआत 27 जुलाई को कोलकाता से हुई। तीनों कलाकारों ने प्रगति आर्ट सोसायटी की ओर से वहां आयोजित कला उत्सव में भाग लिया और चार देशों के कलाकार प्रतिनिधियों के बीच अपना हुनर दिखाया। इसके बाद दिल्ली में आर्ट एण्ड आर्ट की ओर से आयोजित कला उत्सव में शामिल हुए। कला यात्रा के अगले पड़ाव में नैनीताल में विश्वस्तरीय समारोह में प्रस्तुतियां दी। कलाकारों ने इस दौरान मसूरी, देहरादून, आगरा, कानपुर में आयोजित कला कार्यक्रमों में हिस्सेदारी की। मिशन का समापन 15 सितम्बर को हरिद्वार में व्याख्यान से हुआ। अन्नु सिंह ने बताया कि यात्रा में सम्वेदना शांति नारायण संस्थान का पूरा सहयोग रहा।
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तीनों अनूठे और एक से बढ़कर एक
मिशन यात्रा का नेतृत्व करने वाले डॉ.अन्नु सिंह धाकड़ बहुप्रतिभा के धनी हैं। वे मूर्ति शिल्पकार हैं साथ ही अभिनय व संगीत, चिंतन, जादुई कला में भी माहिर हैं। शंभू सिंह चौबदार को लघु चित्र शैली में सिद्धहस्त हैं, तो मिशन के तीसरे साथी वयोवृद्ध चित्रकार डी.पी. छाबड़ा दुर्गासप्तशती पर आधारित चित्र श्रंखला के साथ विशेष पहचान रखते हैं। तीनों ही कलाकारों ने अपनी अपनी कला से मुकाम बनाया है और कई सम्मान पाए हैं।
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एेसे दिखाया अपना जादू
कला उत्सवों में इन कलाकारों ने कोटा बूंदी शैली, देवी दुर्गा की महिमा पर आधारित चित्रों का प्रदर्शन किया। चित्रकारी कार्यशालाओं के जरिए हाड़ौती कला शिल्प की बारीकियां समझाईं। साथ ही इनका महत्व और इतिहास भी बताया। डॉ. अन्नू सिंह ने बांसुरीवादन, एकल अभिनय, मैजिक शो का प्रदर्शन किया। नैनीताल में पारिस्थितिक तंत्र पर आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया। आगरा, कानपुर व इलाहाबाद में एकता व भाईचारे का संदेश देते हुए अपने शो प्रस्तुत किए और सम्मान प्राप्त किया। देहरादून पर पर्यावरण संरक्षण पर व्याख्यान दिया। डॉ. अन्नू सिंह व शंभू सिंह चौबदार ने बताया कि बंगाल में कला के प्रति समर्पण देखने को मिला। पहाड़ी लोगों की सादगी बहुत अच्छी लगी। वहां के कलाप्रेमी देवी दुर्गा के श्रंखलाबद्ध चित्र व कोटा-बूंदी की शैली की पेंटिंग्स देखकर हैरान रह गए।
मुसीबतें आईं, लेकिन पार न पा सकीं
कला यात्रा के दौरान तीनों कलाकारों के सामने कई परेशानियां भी आईं। डॉ. अन्नू सिंह देश के विभिन्न स्थानों पर अपनी कला दिखा रहे थे तब कोटा में मां बीमार हो गई, लेकिन यात्रा को बीच में नहीं छोड़ा। 80 वर्षीय चित्रकार डीपी छाबड़ा की देहरादून में ऊंचे पर्वतों की चढ़ाई के दौरान तबीयत खराब हो गई। एक बार तो तीनों साथी असमंजस में पड़ गए, लेकिन खुद छाबड़ा की निश्चय था कि मिशन को पूरा करना है। उन्होंने वहीं चिकित्सक को दिखाया और आयोजन पूरा कर लौटे।
Published on:
20 Sept 2017 10:08 am
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