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जानिये कौन है चंबल के 34 दुश्मन, पढि़ए पूरी खबर

एनजीटी द्वारा गठित फ्लो मेजरमेंट कमेटी ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट में बताया कि चम्बल में अब 22 नहीं 34 बड़े नाले सीधे गिर रहे हैं।

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Chambal River

कोटा . एनजीटी फटकार लगाता रहा, यूआईटी-नगर निगम योजनाएं बनाते रहे लेकिन, 7 साल बाद हिसाब लगाया तो चम्बल और गंदी हो गई। अब 34 नाले सीधे रोज 334 एमएलडी सीवरेज गिरा रहे। गत मई में 'पत्रिका' के मुद्दा उठाने के बाद एनजीटी की ओर से जमीनी सच जानने को गठित जांच कमेटी की हालिया रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ। चम्बल को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए वर्ष 2008 में राष्ट्रीय नदी जल संरक्षण योजना (एनआरसीपी) से जोड़ा गया। उस वक्त 22 नालों से 288 एमएलडी सीवरेज सीधे चम्बल में जा रहा था। इसे रोकने को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और राज्य सरकार ने 27 अक्टूबर 2009 को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने और पूरे शहर में सीवरेज लाइन डालने के लिए यूआईटी और नगर निगम को 149.59 करोड़ रुपए दिए। इस बजट से साजीदेहड़ा में 30 एमएलडी, धाकडख़ेड़ी में 20 एमएलडी और बालिता में 6 एमएलडी के एसटीपी लगने थे। साथ ही 6 सीवरेज पंपिंग स्टेशन, 143 किमी लंबी सीवर लाइन, 5.9 किमी लंबी राइजिंग मेन लाइन का भी निर्माण होना था।

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बीच में ही टूटा दम : मई 2013 तक की डेडलाइन वाला चम्बल शुद्धीकरण का काम 7 साल बाद भी 37 फीसदी ही पूरा हो सका। साजीदेहड़ा और धाकडख़ेड़ी में एसटीपी तो लगे लेकिन नाले टेप न होने से आधी क्षमता में ही पानी साफ कर रहे हैं। बालिता एसटीपी का काम सालों से बंद है। 77 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद निर्माण कार्य में जुटी कंपनियां सिर्फ 21.4 किमी सीवर लाइन और 4.386 किमी राइजिंग मेन पाइप लाइन डाल पाई।

यूं हुआ खुलासा : यूआईटी ने अगस्त 2016 में एनजीटी की भोपाल बेंच को शपथ-पत्र दिया कि सभी 22 नालों को टेप कर गंदा पानी चम्बल में गिरने से रोक दिया गया है। मई 2017 में जब 'राजस्थान पत्रिका' ने इस हलफनामे की पोल खोली तो एनजीटी ने प्रकाशित समाचार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच दल गठित कर दिया। साथ ही नालों और उनसे उत्सर्जित सीवरेज के फ्लो की जांच के लिए आरटीयू के प्रोफेसर डॉ. आरसी मिश्रा, एमएनआईटी जयपुर के प्रो. वाईपी माथुर, प्रो. गुनवंत शर्मा, प्रो. जेके जैन की समिति गठित कर दी।

भयावह हुए हालात : जांच के बाद शिक्षाविदों की समिति ने एनजीटी को चम्बल के भयावह हालात बताए। इसके बाद एनजीटी ने चम्बल में गिरने वाले नालों और सीवरेज की वास्तविकता जानने के लिए फ्लो मेजरमेंट कमेटी गठित की। कमेटी ने भौतिक निरीक्षण के बाद हाल ही एनजीटी को रिपोर्ट सौंपी कि चम्बल में अब 22 नहीं 34 बड़े नाले सीधे गिर रहे हैं। रोजाना 364.344 एमएलडी सीवरेज चम्बल को जहरीला बना रहा। साजीदेहड़ा एसटीपी 20 एमएलडी और धाकडख़ेड़ी एसटीपी 6 से 7 एमएलडी गंदा पानी ही साफ कर पा रहे, कंसुआ नाले से 97.739 एमएलडी सीवरेज भी सहायक नदियों के जरिए चम्बल में जहर घोल रहा है।

अभी तक नहीं मिला एक्शन प्लान : इस बारे में आरएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा का कहना है कि नाला फ्लो मेजरमेंट कमेटी ने चम्बल में सीधे गिरने वाले नालों और सीवरेज की बढ़ी हुई मात्रा का खुलासा किया है। इसके बाद बोर्ड ने यूआईटी और नगर निगम को नोटिस जारी कर दिया था। एनजीटी के निर्देश पर चम्बल को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक्शन प्लान मांगा है, लेकिन अभी तक नहीं मिल सका है।