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कोटा

बूढ़ी हो गईं थर्मल की 5 यूनिट, 2022 तक बंद होंगी

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ने नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान में शामिल किया पांच यूनिटों को बंद करने का प्रस्ताव

कोटाFeb 18, 2020 / 01:01 am

mukesh gour

बूढ़ी हो गईं थर्मल की 5 यूनिट, 2022 तक बंद होंगी

बूढ़ी हो गईं थर्मल की 5 यूनिट, 2022 तक बंद होंगी

कोटा. पुरानी तकनीक और ज्यादा लागत आने के साथ ही अपनी उम्र पूरी कर चुकी कोटा थर्मल पावर प्लांट की पांच इकाइयां वर्ष 2022 तक बंद हो जाएंगी। पर्यावरण नियमों की सख्ती के चलते सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ने नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान में इन यूनिटों को बंद करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इन इकाइयों के बंद होने से प्रदेश में 850 मेगावाट विद्युत उत्पादन घट जाएगा। थर्मल पावर प्लांट की एक यूनिट की औसत उम्र 25 साल होती है, जबकि कोटा थर्मल की स्थापना के पहले चरण वर्ष 1983 में स्थापित हुई पहली और दूसरी यूनिटें 37 साल से ज्यादा चल चुकी हैं। दूसरे चरण वर्ष 1988-89 में स्थापित तीसरी यूनिट 32 और चौथी यूनिट 31 साल की उम्र पार कर चुकी है, जबकि तीसरे चरण वर्ष 1994 में स्थापित पांचवीं यूनिट ने पिछले साल ही अपनी औसत उम्र पार की है।
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कैग ने की थी सिफारिश
इसी दौरान कंपट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) ने भी कोटा थर्मल का पॉल्यूशन ऑडिट किया तो कोल यार्ड और कोल क्रशर पर स्थापित वायु प्रदूषण नियंत्रण मशीन बंद मिली। कोयले के धुएं के साथ राख के कण चिमनियों से बाहर निकलने से रोकने के लिए लगाई गए संयंत्र बंद पड़े थे। इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रीसीपीटेटर्स (ईपीएस) तो लगा था, लेकिन कई फील्ड्स नियमित तौर पर आउट ऑफ चार्ज थे। इसके साथ ही प्लांट का प्रदूषित पानी साफ किए बगैर चम्बल नदी और फ्लाईएश पांड की तरफ फेंका जा रहा था। इन ऑडिट आपत्तियों का निस्तारण न होने पर कैग ने केएसटीपीएस का संचालन अवैध घोषित कर दिया था। इसके बाद जून 2018 में आरएसपीसीबी ने दंडात्मक कार्रवाई करते हुए सातवीं इकाई की संचालन सहमति तक रद्द करने के साथ ही 4.65 लाख रुपए का आवेदन शुल्क भी जब्त कर लिया था। इतना ही नहीं बाकी छह यूनिटों की संचालन सहमिति पेडिंग में डाल 14.07 लाख रुपए का आवेदन शुल्क भी डैफर कर दिया था।
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बूढ़ी यूनिटें मुसीबत
कोटा थर्मल की पहली और दूसरी यूनिटों के तो संचालन की तकनीक तक चलन से बाहर हो चुकी है। इन्हें चलाने के लिए नई तकनीकी से स्थापित यूनिटों से तकरीबन दो गुना ज्यादा कोयला खर्च करना पड़ता है। इससे लागत बढ़ रही है। साथ ही, प्रदूषण नियंत्रण के नए मानकों पर भी यह दोनों यूनिटें खरी नहीं उतर पा रही। बाकी तीनों यूनिटों में भी पर्यावरण मानकों की पालना सुनिश्चित करना कोटा थर्मल से लिए खासी चुनौती साबित हो रहा है।
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पहले ही गिर चुकी गाज
कोटा थर्मल प्लांट की 1240 मेगावाट क्षमता की सात इकाइयों के संचालन के लिए थर्मल प्रबंधन ने 27 फरवरी 2015 को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) से संचालन सहमति मांगी थी। आवेदन का निस्तारण करने के लिए स्थलीय निरीक्षण करने कोटा थर्मल पहुंचे पर्यावरण अभियंताओं को यहां वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 और जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 के प्रावधानों का खुला उल्लंघन होते हुए मिला था। इसके बाद बोर्ड ने 21 बड़ी खामियां चिन्हित कर उन्हें सुधारने के लिए थर्मल प्रबंधन को नोटिस दिया था, लेकिन अधिकांश बिंदुओं पर अभी तक आपत्तियों का निस्तारण नहीं हो सका है।
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पहली और दूसरी यूनिट का बंद होना तो लगभग तय है, जबकि तीसरी, चौथी और 5वीं यूनिटों को नए पर्यावरण नियमों के मुताबिक उच्चीक्रत किया जा सकता है। इसके लिए बड़े बजट चाहिए होगा। उम्मीद है कि समय रहते बजट मिल गया और यूनिट अपग्रेड करने का काम शुरू हो गया तो इन्हें बंद होने से बचाया जा सकता है। हालांकि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी इन सभी पांचों यूनिटों को औसत आयु और पर्यावरण नियमों के चलते बंद करने की तैयारी में जुट गई है।
अजय सक्सेना, मुख्य अभियंता, कोटा थर्मल
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