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60 साल की अंगुलिया आज भी सुई धागे से बुनती हैं ऊनी कपड़े, हर साल होती है लाखों की कमाई

गोविंद स्वयं सहायता समूह की मुखिया 60 वर्षीय संतरा बाई आज भी बूढ़ी आंखों से सुई-धागे से ऊनी वर्क कर अपनी कला को जिंदा रखे हैं।

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कोटा

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Zuber Khan

Dec 12, 2017

woolen cloth

कोटा . अलवर जिले की बहरोड़ तहसील के छटगांव के गोविंद स्वयं सहायता समूह की मुखिया है 60 वर्षीय साक्षर संतरा बाई। जो अभी भी बूढ़ी आंखों से सुई-धागे से ऊनी वर्क करते अपनी कला को जिंदा रखे हैं। संतरा बताती है उनके समूह से 10 महिलाएं जुड़ी है। सभी यही वर्क करती है। सालभर में उनका समूह 5 लाख का व्यवसाय कर लेता है। जिसकी आय सभी महिलाओं में बांट लेते है। ऐसे ही उदारहण कोटा किशोर सागर तालाब की पाल के पास ग्रामीण हाट बाजार परिसर में महिला एवं अधिकारिता विभाग की ओर से लगाए गए अमृता हाट बाजार में देखने को मिल रहे हैं। यहां प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आई महिलाएं अपनी सहकर्मियों के तैयार किए उत्पाद प्रदर्शित कर रही हैं। मेले में दिनभर इन उत्पादों को देखने, खरीदने के लिए शहरवासियों की आवाजाही लगी रहती है।

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सेठ की नौकरी छोड़ शुरू किया स्वरोजगार
जयपुर के फुलेरा निवासी मदन कुमावत बचपन से ही मार्बल आर्ट वर्क करते है। पहले तो सेठ के यहां नौकरी की। वर्ष २००० से नौकरी छोड़ स्वरोजगार शुरू किया। जो स्वयं ही मार्बल वर्क करते हैं। जिसमें मार्बल लेम्प, बतख, तस्तरी, वाटर पोट, घड़ी, तस्वीर आदि प्रमुख है। मदन बताते है कि उन्होंने मार्बल की पानी में तैरने वाली बतख तैयार की है जो पानी में डूबती नहीं है। इसकी शोरूमों में खासी डिमांड है। इसके अलावा वुडन क्रॉफ्ट की भी खासी डिमांड है।

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लुभा रहे उत्पाद
मेले में राजसमंद जिले के नाथद्वारा से आई १२वीं पास मंजू श्रीमाली द्वारा प्रदर्शित किए गए खाद्य उत्पाद लोगों को लुभ रहे है। जिनके द्वारा गुलाबजल, शर्बत, शहद, गुलकंद, अजवाइन अर्क आदि उत्पाद बनाकर प्रदर्शित किए गए है। जो साल में तीन लाख का कारोबार कर लेती है।


मांगरोल खादी की दिल्ली तक पहचान
मांगरोल कस्बे के मोहम्मद आमीन अंसारी ने कस्बे के खादी परिधान को दिल्ली तक पहचान दिलाई है। जो दिल्ली के प्रगति मैदान व अन्य फैशन शो, प्रदर्शनियों, ट्रेड फेयर में मांगरोल खादी के परिधान, वस्त्र प्रदर्शित करते हैं। जब लोगों को मांगरोल खादी की खूबियां बताते हैं तो लोग खरीदने से नहीं चूकते। इसी का ही परिणाम है कि आमीन अंसारी सालाना करीब १०-१२ लाख का व्यवसाय कर लेते हैं।

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ये उत्पाद भी किए जा रहे प्रदर्शित
अमृता हाट में कोटा डोरिया, टाई एण्ड डाई, बगरू प्रिंट, बंधेज, गोटा-पत्ती वर्क की साडियां व सूट्स, दुपट्टे स्टॉल्स पेचवर्क, सांगानेरी व बगरू पिं्रट, जैसलमेरी-बाडमेरी कढाई की चद्दरें व कुशन कवर्स व बैड कवर्स, हैण्ड बैग्स, डिजाइनर साडियां, सूट्स, आर्टिफि शियल ज्वैलरी, सिक्के ज्वैलरी, लाख की चूडियां, मोजडी, ब्ल्यू पोटरी, पेपरमेशी, कॉनवर्क, कठ पुतलियां, ऊन के खिलौने, दरियां, खेस, भगवान की पोषाक, टेराकोटा व मोलेला उत्पाद, हैण्डमेड पेपर प्रोडक्ट्स, पापड़, मंगोडी, अचार, मसाले, राबोडी, मठरी, नमकीन, मीठी सेव, चिप्स, आम-पापड, खांखरे, तिलपट्टी आदि खाद्य पदार्थ प्रदर्शित किए जा रहे हैं।