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एक्शन मोड में राजस्थान के डीजीपी राजीव शर्मा, केस की जानकारी नहीं दे पाए डीएसपी एपीओ-CI लाइन हाजिर

DGP Rajeev Sharma: डीजीपी राजीव शर्मा की क्राइम समीक्षा बैठक के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। लापरवाही और कमजोर कार्यशैली पर डीजीपी ने कड़ी कार्रवाई करते हुए एक सीआई को लाइन हाजिर और एक डीएसपी को एपीओ कर दिया।

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कोटा

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Rakesh Mishra

Dec 24, 2025

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वृताधिकारी अरुण मिश्रा और CI हंसराज मीणा। फोटो- पत्रिका

कोटा। राजस्थान के डीजीपी राजीव शर्मा की मंगलवार को हुई क्राइम समीक्षा बैठक के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया। बैठक में पुलिस की कार्यशैली और मामलों की जानकारी संतोषजनक नहीं पाए जाने पर डीजीपी ने केशवरायपाटन के सीआई हंसराज मीणा को लाइन हाजिर कर दिया, वहीं बूंदी के वृत्ताधिकारी (डीएसपी) अरुण मिश्रा को एपीओ कर दिया गया। डीएसपी का मुख्यालय जयपुर किया गया है।

डीजीपी के ये आदेश बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पूरे पुलिस विभाग में चर्चा का विषय बने हुए हैं। बताया जा रहा है कि डीजीपी कोटा दौरे पर थे, इसी दौरान उन्होंने पुलिस अधिकारियों की क्राइम समीक्षा बैठक ली। बैठक में जिलेवार और थानेवार अपराधों, कार्रवाई और लंबित मामलों की विस्तृत जानकारी ली गई।

‘कोटा से आने वाले लोगों को कर देता हूं पाबंद’

पुलिस के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, क्राइम मीटिंग के दौरान जब डीजीपी ने केशवरायपाटन थाने के सीआई हंसराज मीणा से कार्रवाई का विवरण पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने 800 से अधिक लोगों को पाबंद किया है। इस पर डीजीपी ने सवाल उठाया कि यदि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को पाबंद किया गया है, तो नकबजनी और अन्य अपराधों में प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं दिखाई दे रही है।

इस दौरान सीआई ने कहा कि वे कोटा की तरफ से आने वाले लोगों को पाबंद कर देते हैं। इस जवाब पर डीजीपी नाराज हो गए। उन्होंने पाबंद किए गए लोगों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी मांगी, लेकिन मीणा बैठक में कोई ठोस जानकारी प्रस्तुत नहीं कर सके। इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए डीजीपी ने तत्काल उन्हें लाइन हाजिर करने के निर्देश दिए।

घटना की जानकारी नहीं दे सके वृत्ताधिकारी

सूत्रों के अनुसार बैठक में बूंदी सर्कल के वृत्ताधिकारी अरुण मिश्रा से भी एक थाने में घटित घटना के संबंध में जानकारी मांगी गई। बूंदी सर्कल के अंतर्गत तीन थाने आते हैं, लेकिन वृत्ताधिकारी बैठक में संबंधित मामले की स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाए। इस पर डीजीपी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब एक ही मामले की जानकारी नहीं है, तो पूरे सर्कल की निगरानी और समीक्षा कैसे की जा रही होगी।

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डीजीपी ने इसे कार्यशैली में गंभीर कमी मानते हुए बैठक के बाद तुरंत अरुण मिश्रा को एपीओ करने के आदेश जारी कर दिए। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी डीजीपी के कोटा दौरे से पहले डिकॉय ऑपरेशन कराया गया था, जिसमें कुन्हाड़ी और नांता थाने के सीआई को लाइन हाजिर किया गया था।