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डीएपी और यूरिया के साथ थोप रहे अटेचमेंंट

किसान पहले से ही बेमौसम बारिश से फसल खराबा व महंगाई की मार से परेशान है, ऊपर से रबी फसल बुवाई के लिए खाद नहीं मिल रहा है। इन सबके बीच खाद कम्पनियां मुख्य उर्वरक यूरिया व डीएपी के साथ किसानों को कम्पोस्ट, जिंक, फास्फोरस जैसे अन्य पोषक तत्वों को अलग से खरीदने के लिए मजबूर कर रही है।

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बिना अटैचमेंट के डीलर को भी नहीं मिल रहा खाद

डीएपी और यूरिया के साथ थोप रहे अटेचमेंंट

किसान पहले से ही बेमौसम बारिश से फसल खराबा व महंगाई की मार से परेशान है, ऊपर से रबी फसल बुवाई के लिए खाद नहीं मिल रहा है। इन सबके बीच खाद कम्पनियां मुख्य उर्वरक यूरिया व डीएपी के साथ किसानों को कम्पोस्ट, जिंक, फास्फोरस जैसे अन्य पोषक तत्वों को अलग से खरीदने के लिए मजबूर कर रही है। किसानों को जरूरत नहीं होने पर भी इन पोषक तत्वों की खरीद करनी पड़ रही है, जिससे बजट पर असर पड़ रहा तो और लागत में बढ़ोतरी हो रही है। किसानों के मुताबिक, यूरिया या डीएपी के साथ अटेचमेंट के पैकेट्स को खरीदने से इनकार करते है तो मुख्य खाद भी नहीं दिया जा रहा।

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डीलर्स को भी इनकार
डिस्ट्रीब्यूटर तक डीलरों को अटेचमेंट नहीं लेने पर खाद उपलब्ध नहीं करा रहे। ऐसा ही एक मामला सुल्तानपुर क्षेत्र में एक डीलर के सामने आया। उसने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि 150 मिट्रिक टन यूरिया डिस्ट्रीब्यूटर के पास बुक कराया। पिछले कई दिनों ने यूरिया नहीं दिया जा रहा। कारण पूछने पर बताया कि खाद के साथ आपको अटैचमेंट लेना पड़ेगा।

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किसान नेता दशरथ कुमार ने बताया कि कोटा सम्भाग में 10 से 12 लाख हैक्टेयर में करीब 3.40 लाख से 4 लाख किसान बुवाई करते है। इसके लिए 80 से 120 लाख मीट्रिक टन डीएपी व 1.60 से 3 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ती है। सरकारी नियंत्रण के बावजूद हर वर्ष बिना अटैचमेंट के किसान को खाद नहीं मिल पाता। प्रति किसान 1 हजार रुपए अटैचमेंट के नाम पर खर्च करने पड़ रहे हैं। यानी सम्भाग में 1 लाख किसानों को अटैचमेंट के नाम पर 100 करोड़ रुपए अलग से खर्च करने पड़ते हैं। हुसैन देशवाली ने कहा कि इस संबंध में कृषि विभाग को ज्ञापन दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

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खाद की कोई कमी नहीं है। खरीफ फसल में जरूरत से ज्यादा खाद मिला था। अब रबी फसल के लिए भी खाद की कमी नहीं है। रही अटैचमेंट की बात तो इसकी शिकायत डीलर या किसान करें ताकि डिस्ट्रीब्यूटर या कम्पनियों पर कार्रवाई की जा सके। -रामावतार शर्मा, संयुक्त कृषि निदेशक विस्तार