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चम्बल का कर्ज उतारेगा यह बड़ा मिशन, जिस दिन पूरा होगा, उस दिन दूषित होने से बचेगी चम्बल

खास खबर : वर्तमान में 34 नालों के जरिए गंदा पानी चम्बल में जा रहा है, इसलिए कोटा में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति पर सवाल2022 के अंत तक 73 प्रतिशत शहर में सीवरेज लाइन बिछाने का लक्ष्यबीते 21 साल में 11 प्रतिशत क्षेत्र में ही सीवरेज की सुविधा मिल पाई

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चम्बल का कर्ज उतारेगा यह बड़ा मिशन, जिस दिन पूरा होगा, उस दिन दूषित होने से बचेगी चम्बल

चम्बल का कर्ज उतारेगा यह बड़ा मिशन, जिस दिन पूरा होगा, उस दिन दूषित होने से बचेगी चम्बल

के. आर. मुण्डियार
कोटा.

इसे दुर्भाग्य कहें या विकास एजेंसियों की ढिलाई, हमारे कोटा में अभी तक 11 प्रतिशत क्षेत्र में ही सीवरेज लाइन की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकी है। बीते दो दशक में पूरे शहर में सीवरेज लाइन नहीं हो पाने के कारण 34 से ज्यादा गंदे नालों का पानी हमारी चम्बल नदी को प्रदूषित कर रहा है। यही गंदगी चम्बल के पानी में घुलकर हमारे घरों तक पहुंच रही है। जानकारों का मानना है कि जिस दिन पूरे कोटा शहर में सीवरेज तंत्र विकसित हो जाएगा, उस दिन बरसाती नालों में गंदे पानी की जगह केवल बरसात का पानी ही बहेगा और हमारी चम्बल मैली होने से बच जाएगी। चम्बल में प्रदूषण नहीं रहेगा तो शहरवासियों को स्वच्छ व प्रदूषण रहित जल की आपूर्ति हो सकेगी।

जिन शहरों में सीवरेज विकसित, जलस्रोत हुए साफ-
देशभर के जिन शहरों में सीवरेज तंत्र विकसित हो गया है, उन शहरों के जलस्रोतों में प्रदूषण कम हो रहा है। जमीनी टैंक या नालियों में बहने वाला गंदा पानी सीपेज होकर जलस्रोतों तक पहुंच रहा था। वहां सीवरेज सफल हुआ तो जमीन से लेकर हवा तक प्रदूषण रहित हो रही है। इसलिए पूरे कोटा शहर में सीवरेज तंत्र सफल होना चाहिए।

वर्ष 2000 में आया था प्रोजेक्ट

राजस्थान के शहरों में सीवरेज लाइन बिछाने का प्रोजेक्ट वर्ष 2000 में आया था। तब से अलग-अलग चरण में प्रदेश के कई शहरों में सीवरेज बिछाई जा चुकी है। कोटा में बीते 21 साल में पहले चरण में 11 प्रतिशत सीवरेज लाइन ही बिछाई जा सकी। कोटा में इस मामले में पिछड़ा है। इस वजह से चम्बल का पानी दूषित हो रहा है।


तीसरे चरण के बाद 27 प्रतिशत पर फोकस जरूरी
कोटा में नगर विकास न्यास एवं आरयूआईडीपी के जरिए अब तक तीन चरण में करीब 415 किमी की सीवरेज बिछाई जा चुकी है। आरयूआईडीपी के जरिए तीसरे चरण में 2022 तक 42 प्रतिशत शहर में और न्यास की ओर से 20 प्रतिशत शहर में सीवरेज बिछाने का कार्य चल रहा है। तीन चरण पूरे होने के बाद भी कोटा का 27 प्रतिशत क्षेत्र सीवरेज से वंचित रहेगा। शेष क्षेत्र में सीवरेज बिछने के बाद ही पूरा कोटा स्वच्छ व प्रदूषण रहित हो सकेगा।

कोटा में सीवरेज : एक नजर
-2046 की अनुमानित जनसंख्या के अनुसार बिछाई जा रही सीवरेज
-4 एसटीपी आरयूआईडीपी के जरिए बनाए जा रहे हैं कोटा शहर में
-15 एमएलडी क्षमता का एसटीपी काला तालाब में
-40 एमएलडी क्षमता का एसटीपी धाकडख़ेड़ी में
-2 एमएलडी क्षमता का एसटीपी आईएल कैम्पस में
-15 एमएलडी क्षमता का एसटीपी बालिता में
-30 एमएलडी क्षमता का एसटीपी साजिदेहड़ा में बना हुआ है
-30 एमएलडी क्षमता का अतिरिक्त एसटीपी बालिता में न्यास बनाएगा
-6 एमएलडी क्षमता का एसटीपी बालिता में न्यास बनाएगा
-2 एसटीपी चम्बल में गिरने वालों के नालों के पानी को ट्रीट करेंगे
-270 किलोमीटर सीवरेज लाइन बिछाई जा चुकी है आरयूआईडीपी के जरिए, लक्ष्य 456 किमी का है।
-415 किमी सीवरेज लाइन अब तक कुल सभी एजेंसी की मिलाकर डाली जा चुकी है, लेकिन पूरी चालू नहीं है।
-100 किमी सीवरेज लाइन बिछाई गई नगर विकास न्यास के जरिए
-45 किमी सीवरेज पहले से बनी हुई, जिसमें करीब 3500 कनेक्शन हैं

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सीवरेज तंत्र से यह होगा फायदा-
-चम्बल नदी व भूमिगत जल में हो रहा प्रदूषण कम होगा। नालों में गंदे पानी की बजाय बरसात का पानी ही बहेगा।
-घरों के बाथरूम, टॉयलेट व रसोई का कनेक्शन सीवरेज से होगा। जिससे गलियों व सड़कों व नालियों में गंदगी नहीं रहेगी।
-घरों से निकलने वाले गंदे पानी को एसटीपी ले जाकर वहां शोधन करके कृषि कार्य में काम लिया जाएगा।
-धाकडख़ेड़ी प्लांट से बिजली उत्पादन किया जाएगा।

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इनका कहना है-
आरयूआईडीपी के तीसरे चरण के तहत कोटा शहर में नवम्बर 2022 तक सीवरेज लाइन बिछाने का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। अभी काला तलाब क्षेत्र में 75 किमी सीवरेज लाइन से घरों के कनेक्शन किए जा रहे हैं। चम्बल किनारे एवं अन्य जगहों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बन जाने के बाद नालों का गंदा पानी चम्बल में नहीं जाएगा। इससे चम्बल दूषित होने से बचेगी और कोटा के लोगों को स्वच्छ जल की आपूर्ति की जा सकेगी।
-के. के. अग्रवाल, अधीक्षण अभियंता, आरयूआईडीपी, कोटा

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