पूनिया ने कहा कि
पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय और महात्मा गांधी के ग्रामोत्थान पर विचार परस्पर समान हैं और गत दिनों उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री से भेंट कर इस बारे में चर्चा भी की।
पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान में सरकार डरी हुई है। नगर निगम चुनाव को इस तरह कराया जा रहा है कि भाजपा को रोका जा सकेए जबकि हर जगह हमारा परचम लहराएगा और हम स्थानीय निकायों में अपना बोर्ड बनाएंगे। पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री को डर है कि यदि
नगर निगम चुनाव में उनकी सरकार को सफलता नहीं मिली तो उनकी कुर्सी जा सकती है।
तीन शहरों में दो.दो महापौर बना दिए जिसका जनता को कोई लाभ होने वाला नहीं है। हमने हाइब्रिड बीज का नाम सुना था लेकिन निकाय चुनाव में हाइब्रिड तरीके से स्थानीय निकाय प्रमुख बनाने का निर्णय ले लिया जो वापस लेना पड़ा। राज्य सरकार निकाय चुनाव के परिणामों को लेकर इतनी भयभीत है कि पार्षदों के परिणाम आने के 8 दिन बाद निकाय प्रमुखों के चुनाव कराए जा रहे हैंए ताकि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा सके। जबकि निकाय चुनाव में हमारे पार्षद ही अधिक जीतेंगे।
कोटाए जोधपुर और जयपुर में दो दो निगम बनाने और सीमांकन इस हिसाब से करने के पीछे भी यही मंशा है कि कम से कम एक एक निगम प्रमुख तो कांग्रेस का बन ही जाएए ताकि अशोक गहलोत की कुर्सी बच सके। वहीं मंत्री शांति धारीवाल इस तरह का कार्य कर रहे हैंए जिससे सरकार को बचाया जा सके।
सतीश पूनिया ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि राजकीय महाविद्यालयों का शपथ ग्रहण मैरिज गार्डन में करना पड़ रहा हैए क्योंकि वहां पर कांग्रेस से विपरीत विचारधारा के
छात्रसंघ संगठन बने हैं। इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण हालात नहीं हो सकते।
पूनिया ने कहा कि राजस्थान के विकास के लिए दलगत राजनीतिक से ऊपर उठकर शिक्षा, कृषि, रोजगार एवं इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करना होगा। सरकार किसी भी दल की बने राज्य और राज्य की जनता के हित के लिए ईमानदारी से काम करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि 2023 में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनेगी और इस मिथक को तोडेंगे कि एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बनती है। इस बार भी कुछ गलतियों की वजह से पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका। कांग्रेस को मात्र 99 सीटों पर जीत मिली है और भारतीय जनता पार्टी 70 सीटों पर जीती है। ना तो कांग्रेस जीती है और ना ही बीजेपी हारी है। मात्र कुछ मतों व मत प्रतिशत से भाजपा के प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सके।
कोटा सहित 3 शहरों में 2 महापौर बनने के प्रश्न पर होने वाले लाभ पर उन्होंने कहा कि बड़े.बड़े शहरों में एक महापौर है। जनता का हित 1 माहपौर भी कर सकता है और दो भी नहीं कर सकते। भारतीय जनता पार्टी में कोटा में चल रही गुटबाजी के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए चुनौतीपूर्ण है।
पूर्व में भी ऐसा होता रहा है। लेकिन मैं प्रयास करूंगा कि सभी नेता एक लाइन में चलें और मिलजुलकर मजबूती से कार्य करें। अगले मुख्यमंत्री के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मेरे लिए पार्टी का मिशन पहले है। भारतीय जनता पार्टी को मजबूत कर फिर सरकार लाना उनका उद्देश्य है। मुख्यमंत्री बनना उनके लिए कोई महत्व नहीं रखता। वे अपने दल और विचारधारा के लिए किसी भी पद और कुर्सी को ठुकराने के लिए तत्पर हैं।
संगठन चुनाव पर प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी का चुनाव किसी एमएलए एमपी की तर्ज पर नहीं होता। कार्यकर्ताओं को अवसर दिया जाता है और आपसी विचार.विमर्श से सर्वसम्मति का प्रयास कर पदों पर चुनाव किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि दिसंबर तक जिला अध्यक्षों के चुनाव हो जाएंगेए उसके बाद प्रदेश कार्यकारिणी का गठन होगा।
उन्होंने कहा कि कोटा के पत्रकारों से मेरा पुराना नाता है और मुझे माननीय ललित किशोर चतुर्वेदी ने महामंत्री बनाया और हमेशा कोटा में चुनौतीपूर्ण कार्य करने के लिए भेजा जिसमें मैं सफल रहा। मुझे प्रेस क्लब में बुलाया इसके लिए मैं धन्यवाद देता हूं और अवसर मिला तो पुन: प्रेस क्लब में आऊंगा।