
अन्नदाता के पानी पर पाबंदी, रोटेशन से चलेंगी नहरें
कोटा। चम्बल के बांधों में इस बार पानी की आवक कम होने के कारण सिंचित क्षेत्र के किसानों को इस बार सिंचाई के लिए कम पानी मिलेगा। सीएडी के कृषि खण्ड ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि इस बार लहसुन के लिए नहरों का पानी नहीं मिलेगा। किसान कम पानी की फसलों की बुवाई करें। नहरों में जल प्रवाह भी रोटेशन के आधार पर होगा।
सीएडी प्रशासन ने हाल में वर्ष 2018-19 में सीएडी चम्बल परियोजना के जलाशयों गांधी सागर व राणा प्रताप सागर बांध में पानी का आंकलन किया गया। इसमें पाया कि बंाधों में कुल पानी 2.722778 एमएएफ है। जिसमें से वाष्पीकरण हस एवंं पेयजल रिजर्व को छोड़कर रबी में सिंचाई के लिए 2.269578 एमएएफ पानी उपलब्ध है।
दांई मुख्य नहर व बाईं मुख्य नहर में 140 दिन तक जल प्रवाह किया जा सकेगा। दाईं मुख्य नहर खण्ड प्रथम, सीएडी कोटा, खण्ड द्वितीय अंता, खण्ड तृतीय इटावा, बाईं मुख्य नहर खण्ड बूंदी एवं खण्ड केशवरायपाटन की ओर से दाईं और बाईं मुख्य नहर, वितरिकाओं, माइनरों का नहर संचालन कार्यक्रम नहर में जल प्रवाह शुरू होने की तिथि के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें वितरिकाओं के डिस्चार्ज, सीसीए के अनुसार ग्रुप में विभाजित किया या है। एवं इन्हें 20 दिन एवं दस दिन के रोटेशन से चलाा जाएगा। ताकि टेल क्षेत्र तक पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
Published on:
04 Oct 2018 07:31 pm
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