5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Christmas 2023: राजस्थान में 130 साल पुराना है ये चर्च, महाराव ने दी थी जमीन, तब फादर बोनर ने की स्थापना

Christmas 2023: शिक्षा नगरी कोटा सद्भाव का पाठ पढ़ाती है, यहां सभी धर्मों को सम्मान भाव से देखा जाता है। शहर के नवीन व प्राचीन मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारे सद्भाव की मिसाल पेश करते हैं। आस्था के केन्द्रों के रूप में चर्च भी कम नहीं हैं, जहां मसीह समाज के लोग प्रार्थना व आराधना करते हैं।

2 min read
Google source verification

कोटा

image

Kirti Verma

Dec 19, 2023

church

Christmas 2023: शिक्षा नगरी कोटा सद्भाव का पाठ पढ़ाती है, यहां सभी धर्मों को सम्मान भाव से देखा जाता है। शहर के नवीन व प्राचीन मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारे सद्भाव की मिसाल पेश करते हैं। आस्था के केन्द्रों के रूप में चर्च भी कम नहीं हैं, जहां मसीह समाज के लोग प्रार्थना व आराधना करते हैं। इन चर्चों में सब्जीमंडी स्थित सीएनआई चर्च सबसे प्राचीन यानी 130 साल पुराना है। रेव्हरेंट अमित श्रेष्ठ बताते हैं कि चर्च का इतिहास काफी पुराना है। संग्रहित जानकारी के अनुसार 1817 ईस्वी में कोटा रियायत की ईस्ट इंडिया कम्पनी से संधि होने के बाद कोटा में ईसाईयों का आना शुरू हो गया था, लेकिन तब यहां कोई चर्च नहीं था। समुदाय के लोगों को चर्च की कमी खलती थी। इस कमी को फादर बोनर ने महसूस किया। उन्होंने ही चर्च की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

उल्लेख मिलता है कि फादर बोनर ने 15 अप्रेल 1891 को कोटा के पॉलिटिकल एजेंट कर्नल वायली को एक पत्र लिखा था। चर्च की स्थापना का इतिहास काफी लंबा है, लेकिन चर्च पदाधिकारियों के अनुसार फादर बोनर के प्रयासों से 1893-1894 में चर्च की स्थापना हुई। इससे पहले बक्शपुरी कुंड के पास एक पुराने मकान में चर्च चलता था। फादर बोनर का विचार था कि चर्च शहर के मध्य होना चाहिए, ताकि लोग आराम से आ सकें। फादर बोनर की प्रार्थना पर महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय ने यह जगह दी, जहां चर्च का निर्माण किया गया।

यह भी पढ़ें : क्रिसमस पर इस साल ट्रेंड में हैं ये गिफ्ट्स, यहां देखें लिस्ट

श्रेष्ठ बताते हैं कि यह चर्च पहले काफी छोटा था। अलग-अलग चरणों में चर्च का विस्तार हुआ। चर्च के निर्माण के तीसरे चरण में बेल टावर का निर्माण किया गया। मई 2003 में बेल टावर का शिलान्यास किया, राजस्थान डायोसिस के बिशप कॉलिन सी. थियोडोर ने 14 दिसम्बर को बेल टावर प्रभु को समर्पित किया। चर्च विस्तार के दौर में हॉल, परिसर में मंच इत्यादि भी बने। चर्च काफी आकर्षक व विशेष शैली में बना हुआ है। अब परिसर का सौन्दर्यीकरण का कार्य चल र

यह भी पढ़ें: राजधानी जयपुर में ट्रेंड बढ़ा, शुभ मुहूर्त देख बच्चों के जन्म का समय तय करवा रहे माता-पिता