
CM Ashok Gehlot announced Solar energy plant to be set up in Kota
कोटा.
दो दशक की अनदेखी के बाद आखिरकार प्रदेश सरकार को Kota Super Thermal Power Plant (KTPS) को बचाने की सुध आ ही गई। पर्यावरण नियमों की सख्ती और आय से अधिक लागत आने के कारण सात साल से प्रदेश सरकार इस पॉवर प्लांट को बंद करने की कोशिश में जुटी थी, लेकिन गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने विधान सभा में बजट पेश करते हुए कोटा थर्मल की खाली पड़ी एश डाइकों पर सोलर प्लांट लगाने की घोषणा कर मुश्किल में घिरे कोटा ही नहीं राजस्थान के पॉवर सेक्टर को संजीवनी दे दी। उन्होंने कोटा आदि ग्रीन सिटीज में 500 मेगावाट रूफटॉप प्लांट और 800 मेगावाट ग्राउंड सोलर प्लांट स्थापित करने की घोषणा की है।
अपग्रेड नहीं हुआ कोटा थर्मल
प्रदेश की पिछली सरकारें कोटा थर्मल को 'सफेद हाथी' घोषित कर चुकी थीं। इसीलिए इस पॉवर प्लांट को अपग्रेड कर कभी बचाने की कोशिश नहीं की गई। ऐसे में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड RRVUNL करीब एक दशकों से कोटा थर्मल को बंद करने की कोशिश में जुटा है। यही वजह रही कि Kota से करीब 100 किमी दूर कालीसिंध और करीब 137 किमी दूर छबड़ा स्थित पॉवर प्लाटों में उच्च तकनीकी के ऑटोमेटिक सुपर क्रिटिकल प्लांट स्थापित कर दिए गए, लेकिन राजस्थान में ऊर्जा क्रांति लाने वाले कोटा थर्मल पॉवर प्लांट को कभी अपग्रेड नहीं किया गया।
ऐसे बचे पड़ौसी थर्मल प्लांट
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (#RRVUNL) दो दशक से थर्मल पॉवर प्लांटों के उच्चीकरण में लगा हुआ है। छबड़ा में 250-250 मेगावाट की चार इकाइयां स्थापित थी, लेकिन जब इन पर बंदी की आंच आती दिखी तो निगम ने 660 मेगावाट की दो यूनिटें स्थापित कर इस प्लांट को बंद होने से बचा लिया। ऐसे ही कालीसिंध में भी 600 मेगावाट की दो सुपर क्रिटिकल यूनिटें स्थापित कर दी गईं। जबकि कोटा थर्मल अच्छी हालात में होने के बाद भी इसका उच्चीकरण नहीं किया गया।
एक लाख कामगारों का खतरा टला
कोटा थर्मल सुपर पॉवर प्लांट (KTPS) की इकाइयों को वक्त रहते अपग्रेड न करने का खामियाजा कोटा के करीब एक लाख से ज्यादा लोगों को भुगतना पड़ता। पर्यावरण नियमों एवं आय से अधिक खर्चों की आड़ ले कर सरकारें कोटा थर्मल की पांच इकाइयों को वर्ष 2022 तक बंद करने की तैयारी में जुटी हैं, लेकिन सरकार के इस फैसले से सिर्फ थर्मल की चिमनियां नहीं, बल्कि 22 हजार से ज्यादा परिवारों के चूल्हे बुझ जाएंगे। जिनसे जुड़े करीब एक लाख लोगों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजी रोटी छिन जाती, लेकिन मुख्यमंत्री की बजट घोषणा से फिलहाल यह आशंका टल गई है।
राजस्थान पत्रिका ने दिया था प्रस्ताव
राजस्थान पत्रिका ने हाल ही में कोटा थर्मल को बचाने के लिए अभियान की शुरुआत की थी। अभियान से जुड़े अर्थशास्त्रियों ने डॉ. गोपाल सिंह और डॉ. कपिल देव शर्मा ने सरकार को लोगों की रोजी रोटी बचाने के के लिए दो सुझाव दिए थे। दोनों अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया था कि आउटडेटेड हो चुकीं पुरानी इकाइयों को बंद कर इनकी जगह 600 और 660 मेगावाट की नई तकनीकी की इकाइयां लगाई जा सकती हैं। इसके साथ ही सोलर और विंड पॉवर प्लांट लगाकर भी सैकड़ों लोगों की रोजी रोटी बचाई जा सकती है।
सरकार ने मानी सलाह
मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने गुरुवार को विधान सभा में बजट पेश करते हुए कोटा थर्मल पॉवर प्लांट की खाली जमीन पर सोलर पॉवर प्लांट स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने सदन को बताया कि कोटा समेत ग्रीन एनर्जी सिटी के रूप में चयनित शहरों को विकसित किया जाएगा। इसके लिए 500 मेगावाट रूफटॉप प्लांट और 800 मेगावाट ग्राउंड सोलर प्लांट स्थापित किए जाएंगे। बता दें कि, थर्मल की एशडाइक 400 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली हैं। करीब 170 हेक्टेयर की एशडाइक तो एकदम खाली है। ऐसे में इस जगह पर आसानी से बड़े सोलर प्लांट लगाए जा सकते हैं। उम्मीद है कि इसी बजट सत्र में इस योजना पर काम शुरू हो जाएगा और मुश्किल में फंसे कोटा के पॉवर सेक्टर को आसानी से बचाया जा सकेगा।
Updated on:
20 Feb 2020 01:06 pm
Published on:
20 Feb 2020 12:57 pm
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