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Rare NeuroSurgery : कोटा मेडिकल कॉलेज में आठ माह के बच्चे के सिर का जटिल ऑपरेशन सफल

पांच चिकित्सकों ने चार घंटे किया ऑपरेशन (Rare NeuroSurgery ) , जन्मजात विकृति के रूप में बच्चे के सिर पर सिर जितने आकार की थी गांठ , जिसको ऑपरेशन से अलग किया

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Screening done by RBSK, disease caught, free treatment gave life

Screening done by RBSK, disease caught, free treatment gave life

कोटा.

कोटा मेडिकल कॉलेज के एमबीएस अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में आठ माह के बच्चे में जन्मजात विकृति का सफल ऑपरेशन (Pediatric neurosurgery) किया। बच्चे के सिर के आकार के बराबर गांठ का ऑपरेशन (new achivment of Neurosurgery department ) कर चिकित्सकों ने नया जीवनदान दिया। ऑपरेशन करीब चार घंटे तक चला।
न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. एस.एन. गौतम ने बताया कि बूंदी जिले के लाखेरी निवासी आठ माह के अंकित के सिर में जन्मजात विकृति थी। जेके लोन अस्पताल से उसे रैफ र किया गया था। बच्चे के सिर के पीछे सिर के बराबर गांठ थी।

पांच हजार बच्चों में एक केस की संभावना-
इस बीमारी को ओकसिपीटल एनकेफेलोसील कहते हैं। ऐसे केस दुर्लभ होते हैं। पांच हजार बच्चों में ऐसा एक केस रिपोर्ट होता है। ऐसे मरीजों का ऑपरेशन प्रोन पॉजिशन में किया जाता है। Medical College Neurosurgery

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दिमाग का प्रेशर कम कर किया ऑपरेशन-
दो निश्चेतना विशेषज्ञों की मदद से ऑफ द टेबल टेक्निक से मरीज में सांस की नली डाली गई। इससे मरीज के फेफड़े, पेट व आंखों पर दबाव बढ़ जाता है। इससे कृत्रिम सांस देने में परेशानी आती है। गांठ बड़ी होने की वजह से इंट्राक्रेनियल प्रेशर बहुत ज्यादा बड़ा हुआ था। इसलिए सबसे पहले ऑपरेशन (Rare NeuroSurgery) में बच्चे के दिमाग का प्रेशर कम करने के लिए वीपी शंट किया गया। उसके तुरंत बाद दूसरा ऑपरेशन कर उसे उल्टा कर गांठ निकाली गई। ऑपरेशन में सहायक आचार्य डॉ. पीयूष कुमार व बनेश जैन का सहयोग रहा। मरीज अभी पूर्णतया स्वस्थ है।

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चुनौतीपूर्ण था एनीस्थिसिया-
निश्चेतना विभाग के सह आचार्य डॉ. मनोज सिंघल व सहायक आचार्य सीमा मीणा ने बताया कि बच्चे को ऑफ टेबल टेक्निक के जरिए गले में नली डालकर बेहोशी करने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया। इतने छोटे बच्चे में ऑपरेशन के दौरान तापमान, फ्लूड व बेहोशी दवाओं को मैंटेंन करना बहुत मुश्किल कार्य रहता है।

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