
न चरखियों का संगीत न टन टन की आवाज ग़र्मी आई पर नहीं घुली गन्ने के रस की मिठास
@सुरक्षा राजोरा
कोटा. गर्मी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया पारा 45 डिग्री पर जा पहुंचा पर गर्मी से राहत देने वाले पेय व खाद्य पदार्थ लोगों से दूर है। बाजार में न आइसक्रीम है, न ही गन्ने के रस की ठंडक घुल रही है। हर बार गर्मी की शुरूआत के साथ ही शहर के बाजारों में चरखियों की घनघनाहट शुरू हो जाती है, लेकिन लॉक डाउन के फैर में बाजारों में सन्नाटा नजर आ रहा है।
दादाबाड़ी के मयंक गुप्ता बताते हैं कि गर्मी में जब भी घर से बाहर निकलते हैं गन्ना जरूर पीते हैं, वहीं उषा शर्मा बताती है कि शाम के समय घूमने निकलते हैं तो बच्चों को गन्ने का रस याद आता है।
लगता है मेला
गर्मी के आने के साथ ही शहर में सीएडी रोड,छावनी फ्लाईओवर, छत्र विलास उद्यान , चौपाटी, स्टेशन समेत नया पुराना शहर में विभिन्न स्थानों पर स्थानीय दुकानदारों के अलावा आस पास के ग्रामीण इलाकों से काफी दुकानदार आते हैं। उन्हें सीजन का इंतजार रहता है। मार्च माह की शुरूआत दौर में ही कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे ने इन्हें वापस अपने घर को लौटने को मजबूर कर दिया था।
टन टन की ध्वनि भी गुम
युवाओं को भले ही अब शीतल पेय रास आने लगे हैं, लेकिन बच्चों को आइस्क्रीम व कुल्फी का विशेष चाव रहता है। कुल्फीवाले की आवाज व घंटी की आवाज सुनकर बच्चे बाहर आ जाते हैं। लेकिन इस वर्ष बच्चों को कुल्फी का आनंद भी नहीं मिल रहा है। सीजनेबल व्यवसाय करने वाले विक्रेताओं को भी इन दिनों का इंतजार रहता है।
इधर बाजारों में लॉक डाउन के चलते कुछ लोगों ने घर में ही आइस्क्रीम जमा ली है। महिला सत्यवती ने बताया कि कुछ चीजें बाजार की ही अच्छी लगती है। उनका बनाने का तरीका अलग होता है। पर बच्चो कि डिमांड के चलते घर पर ही आइस्क्रीम बना रहे है।
किसानों ने बनाया गुड
बूंदी जिले के हिंडोली, नैनवा तलवास में गन्ने का उत्पादन होता है। किसान मुरारीलाल ने बताया कि करीब 200 बीघा क्षेत्र में गन्ने की फसल थी। जो लॉ क डाउन से पहले काट ली। माल की सप्लाई नहीं होने से अब गुड बना लिया। लॉकडाउन ने चीनी गन्ने की पैदावार करने वाले मजदूरों का काम चौपट कर दिया ।
Published on:
10 May 2020 06:40 pm
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