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कोविड का कहर: जेल से रिहा होंगे 1200 कैदी

ऐसे बंदी जो गंभीर रोगों से ग्रसित अथवा दृष्टिहीन हैं और अपने दैनिक क्रियाकलापों के लिए दूसरों पर निर्भर है, उन्हें रिहा किया जाएगा। ऐसे वृद्ध पुरुष जिनकी आयु 70 वर्ष और ऐसी महिलाएं जिनकी आयु 65 वर्ष या इससे अधिक है और सजा का एक तिहाई भाग भुगत चुके हैं, उन्हें रिहाई मिलेगी।

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कोटा. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर राजस्थान दिवस के अवसर पर प्रदेश की जेलों में लम्बे समय से सजा भुगत रहे करीब 1200 बंदियों को समय से पहले रिहा किया जाएगा। कोविड संक्रमण को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है। इनमें सदाचार पूर्वक अपनी अधिकांश सजा भुगत चुके अथवा गंभीर बीमारियों से ग्रसित एवं वृद्ध बंदी शामिल हैं। मुख्यमंत्री निवास पर जेल विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में यह निर्णय लिया गया कि बलात्कार, ऑनर किलिंग, मॉब लिंचिंग, पॉक्सो एक्ट, तेजाब हमले से संबंधित अपराध, आम्र्स एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, एनडीपीएस एक्ट, आबकारी अधिनियम, पीसीपीएनडीटी एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, गोवंश अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम इत्यादि के तहत सजा भुगत रहे बंदियों सहित 28 विभिन्न श्रेणियों के जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों को कोई राहत नहीं मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वृद्ध एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित कैदियों को इसलिए रिहा किया जा रहा है, ताकि वे कोविड संक्रमण के खतरे से बच सकें। इस निर्णय से ऐसे बंदी जो कैंसर, एड्स, कुष्ठ एवं अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित अथवा दृष्टिहीन हैं और अपने दैनिक क्रियाकलापों के लिए दूसरों पर निर्भर है, उन्हें रिहा किया जा सकेगा। अपराध में दण्डित वृद्ध पुरुष, जिनकी आयु 70 वर्ष और महिलाएं, जिनकी आयु 65 वर्ष या इससे अधिक है और सजा का एक तिहाई भाग भुगत चुके हैं, उन्हें समय पूर्व रिहाई मिलेगी। महानिदेशक जेल राजीव दासोत ने बताया कि समय पूर्व रिहाई पाने वाले ऐसे कैदियों की संख्या सबसे अधिक है, जो आजीवन कारावास से दण्डित हैं और 14 वर्ष की सजा भुगत ली है एवं ढाई वर्ष का परिहार प्राप्त कर लिया है। ऐसे बंदियों को वर्तमान में स्थायी पैरोल पर होने की स्थिति में ही रिहा किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री की इस पहल से ऐसे परिवारों को खुशियां मिलेंगी, जिनके परिजन आजीवन कारावास की सजा का अधिकांश हिस्सा भुगत चुके।