कोटा. सबसे सुगम और सस्ता परिवहन का साधन होने के कारण भारतीय रेल ( Indian Railway ) लाइफ लाइन की संज्ञा दी जाती है। रेलवे की ओर से भी समय-समय पर यात्री सुविधाओं में इजाफा किया जाता है, लेकिन अपराधों पर अंकुश लगाने में पुलिस ( police ) और रेल प्रशासन विफल रहा है।
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ट्रेनों और स्टेशन परिसरों में आपराधिक घटनाएं लगातार जारी हैं। कोटा जीआरपी थाने में हर माह 12 से 15 जीरो नम्बर की एफआईआर दर्ज हो रही है। रतलाम, मथुरा, सवाईमाधोपुर और दुर्गापुरा स्टेशन पर चोरी की वारदातें ज्यादा हो रही हैं। इनकी रिपोर्ट कोटा में भी दर्ज की जाती है।
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इसी तरह कोटा मंडल में भी चोरी की वारदात आम है। गत 12 जुलाई को मुंबई-जयपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस में ज्वैलरी और नकदी सहित करीब 2 लाख रुपए की चोरी की घटना सामने आई। हालांकि इस मामले में आरपीएफ की सतर्कता से चोर को ट्रेन में उतरने से पहले ही पकड़ लिया गया।
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पांच सांसदों के सवाल के जवाब में बुधवार को संसद मे पेश की गई एक रिपोर्ट में रेलवे में अपराध के आंकड़े जारी किए। इसके अनुसार वर्ष 2017 में ट्रेनों में डकैती की 1057, बलात्कार की 55 और जहरखुरानी की 257 घटनाएं घटित हुई। वहीं वर्ष 2018 में डकैती 1472, बलात्कार की 69 और जहरखुरानी की 257 घटनाएं घटित हुई। इस तरह वर्ष 2018 में हर रोज देश में 4 डकैती की घटनाएं घटी।
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मध्य रेलवे में डकैती सर्वाधिक
वर्ष 2018 में डकैती की 723 सर्वाधिक वारदातें मध्य रेलवे में हुई। इससे पहले मध्य रेलवे में वर्ष 2017 में 402 डकैती घटनाएं हुई। पश्चिम मध्य रेलवे ( West Central Railway ) के कोटा, भोपाल और जबलपुर मंडल ( Jabalpur railway division ) में वर्ष 2017 में 95 और वर्ष 2018 में 55 डकैती के मामले सामने आए। पश्चिम मध्य रेलवे में वर्ष 2017 में बलात्कार के 8 और 2018 में 14 मामले सामने आए। इस जोन में जहरखुरानी के दोनों सालों में 15-15 मामले सामने आए। अपराध की घटनाओं में 11 मामले ऐसे भी हैं, जिनमें रेलकर्मी ही दोषी निकले।