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Indian Politics की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्रीः दीनदयाल उपाध्याय के सीने में दफन था भारतीय राजनीति का बड़ा राज

मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर रची गई Indian Politics की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री के पीछे वो राज था जिसे सिर्फ पंडित दीनदयाल उपाध्याय ही जानते थे।

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Indian Politics की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्रीः दीनदयाल उपाध्याय के सीने में दफन था भारतीय राजनीति का बड़ा राज

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की हत्या बेवजह नहीं हुई थी। उनके सीने में भारतीय राजनीति का ऐसा राज छिपा था, जिससे सियासी दुनिया में भारी उथल-पुथल मच सकती थी। यही वजह थी कि दीनदयाल उपाध्याय की हत्या के बाद उनके राजस्थान के गंगापुर में रह रहे भाई प्रभुदयाल उपाध्याय से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक को इस हत्याकांड में खामोश रहने की धमकियां दी गईं।

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राज खुलता तो मच जाती खलबली

पत्रिका डॉट कॉम के साथ खास बातचीत में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की भतीजी और भाजपा महिला मोर्चा की राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष मधु शर्मा ने कहा कि दीनदयाल जी कोई ऐसा राज जरूर जानते थे जिसका खुलासा होता तो भारतीय राजनीति की चूलें हिल जातीं। उनकी हत्या की साजिश रचने वाले लोग नहीं चाहते थे कि यह राज खुले। यही वजह थी कि मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर हत्या करने के बाद जब दीनदयाल उपाध्याय के भाई प्रभुदयाल उपाध्याय ने उस मामले में जांच की मांग की तो उन्हें मुंह बंद रखने की धमिकयां दी जाने लगीं।

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अटल बिहारी वाजपेयी को भी मिली थी धमकियां

मधु शर्मा दावा करती हैं कि इस मामले में पैरवी करने के लिए जब उनका परिवार अटल बिहारी वाजपेयी से मिला तो उन्हें भी पैरवी ना करने की धमकियां दी जाने लगी। मधु कहती हैं कि उनके पिता और अटल जी ही नहीं दीनदयाल उपाध्याय का जो भी रिश्तेदार था सभी को अलग-अलग माध्यमों से उस वक्त धमकियां मिली।

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रेलवे के पास कोई रिकॉर्ड ही नहीं है

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की हत्या का सबसे संदेहास्पद पहलू यह है कि मुगलसराय रेलवे पुलिस के पास इस मामले का कोई रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं है। मधु शर्मा कहती हैं कि इससे साबित होता है कि दीनदयाल जी की हत्या को लेकर बड़े स्तर पर साजिश रची गई थी। नहीं तो मुगलसराय रेलवे स्टेशन के सहायक स्टेशन मास्टर ने जिस शव की शिनाख्त की हो और मुगलसराय रेलवे स्टेशन की जिस पुलिस ने हत्यारों को चोर बताकर जेल भेजा हो क्या उसके पास इस मामले का कोई रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए? मधु कहती हैं कि जब कहीं से कोई मदद मिलती दिखाई नहीं दी तो हत्या के मामले की जांच करने की मांग कर रहे सभी परिजनों और रिश्तेदारों ने ही नहीं उस दौर के वरिष्ठ नेताओं ने भी चुप्पी साध ली, लेकिन अब वह इस मामले की जांच के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं।