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#farmer_suicide: कृषि मंत्री कर रहे थे सरकार का गुणगान, कोटा में जान दे रहा था लहसुन किसान

कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी जिस समय सरकार के कामों का गुणगान कर रहे थे। ठीक उसी वक्त कोटा में लहसुन किसान जहर खाकर जान दे रहा था।

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कोटा कृषि विश्वविद्यालय के न्यूज लैटर का विमोचन करने आए राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी जिस वक्त सरकारी योजनाओं का गुणगान कर रहे थे, ठीक उसी समय कुछ किमी दूर कोटा के एक गांव में फसल की सही कीमत नाम मिलने से परेशान किसान जहर खाकर आत्म हत्या कर रहा था। करोड़ों की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने के लिए आयोजित समारोह की चकाचौंध में वह कोटा के लहसुन किसानों की बदहाली को भूल ही गए। उदघाटन समारोह में पूरा दिन लगाने वाले कृषि मंत्री को इतनी भी फुर्सत नहीं मिली कि वह मंडी जाकर किसानों की फसल खरीद योजनाओं की वास्तविकता जान सकें।

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लहसुन ने बनाया कर्जदार

लहसुन के उचित दाम नहीं मिलने से आहत होकर कोटा जिले के एक और किसान ने खुदखुशी कर ली। मृतक किसान प्रेमचन्द सुल्तानपुर क्षेत्र के नौताड़ा मालियान गांव का रहने वाला था। सुल्तानपुर थानाप्रभारी देवेश भारद्वाज ने बताया कि चन्द्रप्रकाश ऐरवाल ने रिपोर्ट दर्ज करवाई कि उसके 55 वर्षीय पिता प्रेमचन्द लहसुन की फसल करने के बाद आर्थिक संकट में फंस गए। पहले तो खेती में सारी जमा पूंजी लगा दी और जब फसल हुई तो मंडी में बेचने पर लहसुन की लागत भी नहीं निकली। जिससे उन पर कर्ज हो गया और गुरुवार को जहर खाकर जान दे दी।

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जमीन तक बेच डाली

सुल्तानपुर पुलिस के मुताबिक प्रेमचंद के पास 5 बीघा जमीन थी, लेकिन लहसुन की फसल में हुए घाटे के बाद चढ़े कर्ज को उतारने के लिए उसने जमीन भी बेच दी। हालांकि जमीन बेचने के बाद भी वह पूरा कर्जा नहीं चुका पाए थे। जमीन बेचने के बाद कर्ज उतारने का कोई रास्ता नहीं दिखा तो प्रेमचंद ने आत्मघाती कदम उठा लिया। हाड़ौती में लहसुन की फसल के सही दाम ना मिलने पर आत्महत्या करने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी करीब डेढ़ दर्जन किसान मौत को गले लगा चुके हैं, लेकिन सरकार ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है।

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कृषि मंत्री करते रह गए न्यूज लैटर का विमोचन

प्रेमचंद के घर जिस वक्त मातम पसरा हुआ था ठीक उसी वक्त सुल्तानपुर से करीब 50 किमी दूर कोटा में राज्य के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी कृषि विश्वविद्यालय न्यूज लैटर का विमोचन कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने 292.70 लाख रुपए की लागत से बनने वाले कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एवं गुणवत्ता सुधार केन्द्र का शिलान्यास करने के साथ ही मॉडल डेयरी की दूसरी इकाई का भी उदघाटन किया, लेकिन वह ना तो मृतक किसान के परिजनों से मिलने गए और नाही मंडी जाकर लहसुन खरीद केंद्रों की वास्तविकता की जांच की।